Prashant Kishore`

Bihar: वर्तमान में जब से राज्य के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने 7 दलों वाली महागठबंधन सरकार (Mahagathbandhan Govt) बनाई तभी से राजनीतिक रणनीतिकार के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) उन पर हमलावर थे। वहीं, अब एक बार फिर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार वाली बिहार सरकार पर हमला बोला है।

Bihar: प्रशांत किशोर ने किसी भी गठबंधन में उनके ही मुख्यमंत्री बने रहने पर भी जवाब दिया। पीके ने एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में कहा कि, यह संभावनाओं की भी बात है। उन्होंने नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने की वजह से सियासी नुकसान होने की भी बात कही है। उन्होंने ये भी कहा कि कभी 115 विधायकों वाली जेडीयू अब महज 43 पर सिमट कर रह गई है। जिसकी वजह से उनकी पार्टी में गिरावट आ रही है।

कांग्रेस में न जाने के सवाल पर प्रशांत ने कहा कि उनका बड़प्पन था कि मुझे बुलाया। बात न बनना अलग है। कांग्रेस के संविधान में अलग-अलग पद और प्रकोष्ठ हैं। जहां के लिए ऑफर दिया जा रहा था, वहां लग रहा था कि फैसले लेने के लिए ठीक जगह नहीं थी।

कांग्रेस में एंट्री न होने के बाद प्रशांत किशोर ने पार्टी पर तंज कसते हुए कहा था कि कांग्रेस में तमाम बड़े नेता हैं। वे ही पार्टी को संभाल और पुरानी दिशा दे सकते हैं। तभी लग गया था कि जिस इरादे को लेकर प्रशांत किशोर ने कांग्रेस चलाने वाले गांधी खानदान की सोनिया और प्रियंका से मुलाकात की थी, वो सफल न होने के पीछे कांग्रेस के ही तमाम नेता हैं।

प्रशांत किशोर ने जब बीजेपी से नाता तोड़ा था, तो वो बिहार में जेडीयू के साथ जुड़े थे। नीतीश कुमार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। फिर वो पंजाब जाकर तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार बन गए। वहां से निकलने के बाद बंगाल में ममता दीदी का साथ दिया।

पीके ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और मैं भविष्य की योजना के बारे में कई बातों पर सहमत थे। वे अपने दम पर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने पेशकश की थी, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं उन्हें जो बताना चाहता था, वो बताया।

प्रशांत किशोर ने दो दिन पहले केटी रामाराव से मुलाकात की थी। जिसके बाद रामाराव का बयान आया था कि राहुल गांधी की वजह से ही पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को ताकत मिलती है। सूत्रों के मुताबिक रामराव के इस बयान ने ही कांग्रेस में पीके की एंट्री के खिलाफ माहौल बना दिया है।

केटीआर के नाम से प्रसिद्ध रामाराव ने कांग्रेस को कमजोर पार्टी बताया और कहा कि उसकी वजह से ही बीजेपी दिन पर दिन मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस की वजह से पीएम मोदी की ताकत लगातार बढ़ी है।

पीके ने कहा कि देश की सत्ता पर काबिज होने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 20 करोड़ वोट हासिल करने होते हैं। अब तक बीजेपी और कांग्रेस ही इस आंकड़े को छू सकी हैं। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को देशभर में सिर्फ 27 लाख वोट ही मिले थे।

पीके ने कहा कि महागठबंधन का जो तरीका है, वो 2015 में बिहार से शुरू हुआ था। उसके बाद लोगों की धारणा बनी कि सारा विपक्ष एकजुट हो जाएगा, तो चुनाव भी जीत जाएगा। फिर भी 2015 के बाद तमाम ऐसे गठबंधन बने और वे सभी बीजेपी के मुकाबले हार गए।