कई हिंदू संगठनों का कहना है कि इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं, महान भारतीय गणितज्ञ वाराहमिहिर ने बनवाया था। यहां से वो सूर्य और चांद के बारे में अध्ययन करते थे। दावा किया जाता है कि कुतुबमीनार के सबसे ऊपर के तल पर खड़े होकर नीचे देखें, तो कमल की आकृति नजर आती है।
विदित है कि इससे पहले कुतुब मीनार के अंदर स्थित कई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति प्राप्त होने के दावे किए जाते रहे हैं। पुरातत्व विभाग के मुताबिक, इतिहास में कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर मुगलिया इमारतों का निर्माण किया गया था। बता दें कि इन सभी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए हिंदू संगठनों की ओर से सर्वेक्षण करने की मांग की जा रही है।