Navjot Singh Sidhu: तानाशाही हो गई और जब कभी-भी तानाशाही हुई है, तो क्रांति हुई है और आज की तारीख में क्रांति का नाम राहुल गांधी है। सिद्धू ने कहा कि मैं संविधान को ग्रंथ मानता हूं, लेकिन अफसोस आज की तारीख में संविधान और संवैधानिक संस्थाएं गुलाम हो चुकी हैं।
सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर 1988 को पटियाला के एक मार्केट गए थे। वहां कार पार्किंग के चक्कर में 65 साल के गुरनाम सिंह से विवाद हो गया। सिद्धू पर आरोप लगा था कि उन्होंने गुरनाम सिंह को घुटना मारा और गिरा दिया। जिसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसी मामले में सिद्धू को सजा हुई थी।
अब ऐसे में देखना होग की कोर्ट उनकी मांग को स्वीकार करती है या खारिज। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन आज जिस तरह से उन्होंने सरेंडर के लिए वक्त मांगने हेतु कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, उसे लेकर भारतीय राजनीति में आने वाले दिनों में तपिश देखने को मिलेगी, लेकिन इस बीच कोर्ट में पीड़ित के वकील ने सिद्धू की अर्जी का विरोध किया है।
Navjot Sidhu Jail: आपको बता दें कि यह मामला करीब 34 साल पुराना है। जब सिद्धू और उनके दोस्त का पटियाला में पार्किंग को लेकर एक बुजुर्ग से वाद विवाद हो गया था। इतना ही नहीं बात इतनी बढ़ गई कि उनके बीच हाथापाई की नौबत तक आ गई थी।
1988 road rage death case: इतना ही नहीं बात इतनी बढ़ गई कि उनके बीच हाथापाई की नौबत तक आ गई थी। इस मारपीट में 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग शख्स की मौत हो गई थी। जिसके बाद पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता सिद्धू और उनके मित्र के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया था।