rohingya

पुलिस सूत्रों के मुताबिक 31 अगस्त और उसके बाद नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा में और भी रोहिंग्या शामिल थे। खास बात ये है कि रोहिंग्या घुसपैठिए हैं और नूंह में उन्होंने सरकारी जमीन पर झुग्गी बस्ती भी बना ली थी। हैरत की बात ये है कि हिंसा से पहले प्रशासन और पुलिस की इस संबंध में नींद नहीं टूटी थी।

नूंह में सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने का काम सोशल मीडिया के जरिए भी किया गया। फेसबुक पोस्ट और वीडियो के जरिए लोगों को विश्व हिंदू परिषद की ब्रजमंडल यात्रा पर हमले के लिए उकसाया गया। नूंह पुलिस ने ऐसा करने वाले 60 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है। इस मामले में 10 केस दर्ज किए गए हैं।

असम में अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या के खिलाफ अभियान भी तेज है। इस साल जुलाई तक असम में 350 से ज्यादा रोहिंग्या पकड़े जा चुके हैं। पूर्वोत्तर के ही एक अन्य राज्य त्रिपुरा में भी सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने पुलिस और अन्य एजेंसियों को घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या को पकड़ने का आदेश दिया है।

यूपी एटीएस ने अपनी तरफ से जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सीमा पार से बड़ी संख्या में रोहिंग्या उत्तर प्रदेश में घुसपैठ कर रहे हैं, जिस पर अंकुश लगाना जरूरी है। एटीएस ने बताया कि आगामी दिनों रोहिंग्याओं के विरोध में और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Rohingyas in UP : यूपी ATS की वाराणसी इकाई को सूचना मिली थी कि म्यांमार और बांग्लादेश से अवैध तरीके से रोहिंग्या भारत में प्रवेश करते हैं। इसके बाद बलिया में फर्जी पासपोर्ट और भारतीय नागरिकता संबंधी अन्य कागजात तैयार करा कर विदेश चले जाते हैं।

साल 2012 के बाद से बड़ी तादाद में रोहिंग्या भारत आए हैं। केंद्र सरकार ने इनको वापस म्यांमार भेजने की तैयारी की थी, लेकिन कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। फिलहाल केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे रोहिंग्या समेत सभी चिन्हित अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर बनाकर वहां रखें।

रोहिंग्या मूल रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत के हैं। वहां की 2014 की जनगणना के मुताबिक रखाइन में 21 लाख की आबादी में से करीब 10 लाख रोहिंग्या हैं। म्यांमार सरकार ने इनको नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। वो इन रोहिंग्या को बांग्लादेश से अवैध तौर पर आया मानता है। भारत में बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमानों ने अवैध घुसपैठ की है।

NIA Action: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये रोहिंग्या शरणार्थी यहां पर पढ़ने के हवाले से आया था, लेकिन ये सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए था। असल में यह शख्स काम कुछ और ही कर रहा था। अब इस रोहिंग्या शरणार्थी को एनआईए ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। 

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये तो जनगणना नहीं, सर्वे है। जनगणना कराने का हक राज्य को नहीं। ये केंद्र सरकार के दायरे में आता है। हां, सर्वे के लिए बीजेपी साथ खड़ी है। जायसवाल ने आगे कहा कि जातिगत सर्वे में पिछड़े और अति पिछड़ों को हर हाल में गिना जाना चाहिए और इन समाजों का हक नहीं मारा जाना चाहिए।

असम में तमाम जिलों में मुस्लिम बहुलता है। इन जिलों में सिलचर भी है। ऐसे में फिलहाल लग रहा है कि स्थानीय आबादी में घुल मिलकर ये रोहिंग्या अपनी पहचान छिपाने के लिए यहां पहुंचे थे। इससे पहले भी गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से कई बार असम पुलिस रोहिंग्या को गिरफ्तार कर चुकी है।