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साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को रखा था। इस लिस्ट में साल 2014 में जैन धर्म मानने वालों को भी शामिल किया गया था। अश्विनी उपाध्याय की अर्जी में कहा गया है कि 8 राज्यों के तमाम जिलों में हिंदुओं से ज्यादा दूसरे समुदाय के लोग हो गए हैं और बहुसंख्यक होने के बाद भी उनको अल्पसंख्यकों वाले लाभ मिल रहे हैं। जबकि, लाभ हिंदुओं को मिलना चाहिए।