Shivpal Singh

यूपी में बीते दिनों मुलायम सिंह यादव की लोकसभा सीट मैनपुरी में उपचुनाव हुआ। इसमें मुलायम की बड़ी बहू डिंपल यादव सपा उम्मीदवार के तौर पर विजयी रहीं। इस चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह अचानक सारे मतभेद भुलाकर अपने भतीजे और बहू के साथ खड़े दिखाई दिए।

UP: ये विवाद उस वक्त शुरू हुआ था जब समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बयान दिया था। अपने बयान में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कन्नौज से बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक पर कहा था कि मुंह में गुटखा भरकर कन्नौज के विकास की बातें नहीं हो सकती। ऐसे में गुटखा और पान छोड़ कन्नौज का विकास किस तरह हो इसपर ध्यान देना चाहिए। अखिलेश यादव के इस वार पर अब कन्नौज से बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने पलटवार किया है।

मीडिया से शिवपाल सिंह ने साफ कह दिया कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ फिर जाना उनकी जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। शिवपाल ने एलान किया कि वो अब कभी सपा के साथ नहीं जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने सपा का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी को लेकर भी बड़ी बात कह दी। इससे अखिलेश यादव को और झटका लगने के आसार दिख रहे हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) में आए दिन कोई न कोई बखेड़ा खड़ा हो रहा है। सहयोगी महान दल और सुहेलदेव भारत समाज पार्टी (सुभासपा) ने सपा का साथ छोड़ दिया है, तो पार्टी के भीतर भी उठापटक मची हुई है। ये उठापटक अब जगजाहिर भी होने लगी है।

सीएम योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी सौंपने की वजह से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी और उनके चाचा रामगोपाल यादव निशाने पर आ गए हैं। यूपी सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि रामगोपाल ने सोमवार को योगी से मुलाकात के दौरान दी गई चिट्ठी में भूमाफिया की पैरवी की। वहीं, अखिलेश के सगे चाचा और रामगोपाल से नाराज चल रहे शिवपाल सिंह यादव ने भी इस चिट्ठी को लेकर सवाल दाग दिए हैं।

माना ये जा रहा है कि बीजेपी, अपना दल, निषाद पार्टी के अलावा अब राजभर की पार्टी के 6, शिवपाल और राजा भैया के 2 वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाएंगे। साथ ही बीएसपी के 1 विधायक और 10 सांसदों के वोट भी उनको मिलेंगे। ऐसे में विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को जोर का झटका लगना तय माना जा रहा है।

सहयोगी दलों ने नाराजगी जताते हुए अखिलेश के गठबंधन में दरार का खुलासा कर दिया। वहीं, करीबी नेता भी नाराजगी जताने लगे। सपा के निवर्तमान राज्यसभा सदस्य रेवती रमण सिंह ने कहा कि अखिलेश ने दोबारा प्रत्याशी बनाना तो दूर, उनसे बात तक नहीं की।

21 अप्रैल को अखिलेश यादव ने कहा था कि बीजेपी से मिलने वाला सपा में नहीं रहेगा, तो शिवपाल ने इसे गैर जिम्मेदाराना बयान कहा था और टिप्पणी की थी कि उनको मुझे जल्दी ही विधायक दल से बाहर कर देना चाहिए। शिवपाल ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा था कि अखिलेश ने उनका काफी अपमान किया और मांगने पर भी ज्यादा सीटें नहीं दीं।

इससे पहले आजम खान ने 27 महीने जेल में रहने के बाद बाहर आने पर अखिलेश यादव का नाम लिए बिना तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि कुछ मजबूरियां रही होंगी। हम भी सोचेंगे कि हमारी नीयत, वफादारी और मेहनत में कहां कमी रह गई कि हम घृणा के पात्र बन गए।

उन्होंने कहा कि हम गठबंधन में नहीं, सपा में ही थे। बावजूद इसके गठबंधन और सपा के विधायक दल की बैठक से बाहर रखा गया। शिवपाल ने आजम खान और अगले लोकसभा चुनाव के बारे में भी अपनी राय रखी। शिवपाल ने कहा कि मैं सपा में शामिल तो हो गया, लेकिन आप मुझे कभी और कहीं नहीं देख सकते।


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