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टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा ने साल 2019 में बनाया था। इसकी वजह ये थी कि कश्मीर घाटी में आतंकी हमलों में लश्कर का लगातार नाम आ रहा था। ऐसे में लश्कर ने आतंकी घटनाओं को स्थानीय लोगों की ओर से किया जाना दिखाने के लिए टीआरएफ बनाया था।

Kashmir News : केंद्र की तरफ से टीआरफ पर बैन लगाने का ऐलान करते हुए गृह मंत्रालय ने ये भी कहा है कि सुरक्षाबलों और आम नागरिकों पर हमले से संबंधित कई मामलों में इस संगठन का नाम आया है।

कश्मीर घाटी में 370 को खत्म करने के बाद से लश्कर और जैश के आतंकी लगातार मारे जा रहे हैं। बदले में उन्होंने कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों की हत्या करने का काम शुरू किया है। ये सिलसिला इस साल से काफी बढ़ा है। आतंकी छिपकर आते हैं और छोटे हथियारों और ग्रेनेड से हमला कर लोगों की जान लेते हैं।

जम्मू-कश्मीर के डीजी जेल हेमंत कुमार लोहिया की गला रेतकर हत्या कर दी गई। उनका नौकर वारदात के मौके से फरार है। इस वारदात का जिम्मा आतंकी संगठन द रेजिस्टेंट फ्रंट यानी टीआरएफ TRF ने लिया है। जम्मू-कश्मीर में पहले हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम ज्यादातर घटनाओं में सामने आता था।

प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के नवगठित प्रतिरोध मोर्चा (टीआरएफ) के बीच कश्मीर के हंदवाड़ा शहर में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने की होड़ मची है।