vokkaliga

कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि कांग्रेस की जहां भी सरकार बनेगी, पहला फैसला जातिगत सर्वे का कैबिनेट करेगी। वहीं, बीजेपी की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी अपनी एक जनसभा में समाज को जाति के नाम पर बांटने को पाप बता चुके हैं। अब इस मुद्दे पर जंग और तेज हो सकती है।

सियासत ऐसी ही चीज है, जहां सबसे कमजोर भी ताकतवर बनकर उभरता है और ताकतवर को कई बार मैदान गंवाना भी होता है।

कर्नाटक में आज 224 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। इसके साथ ही कर्नाटक के दो समुदायों की तरफ सबकी नजर है। हर पार्टी इन दो समुदायों की तरफ हसरत भरी नजरों से देख रही है, क्योंकि इनका वोट जिसे मिलता है, वो ही कर्नाटक में सरकार बनाता है। इन दो समुदायों में से एक लिंगायत और दूसरा वोक्कालिगा है।

कर्नाटक मे 84 फीसदी हिंदू और 12 फीसदी मुस्लिम हैं। जबकि, 1.87 फीसदी ईसाई जनसंख्या है। वोटों पर लिंगायत और वोक्कालिगा का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। लिंगायत वोटरों की तादाद 14 और वोक्कालिगा की तादाद 11 फीसदी है। वहीं, कर्नाटक में एससी और एसटी वोटर भी 24 फीसदी हैं।

2018 में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे। इसमें बीजेपी को बहुमत से 8 सीटें कम यानी 104 सीट मिली थीं। कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी ने सीएम बनाया था। येदियुरप्पा ने बहुमत साबित कर दिया था। बाद में बसवराज बोम्मई को बीजेपी ने राज्य की कमान सौंपी थी।

सीएम बोम्मई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अल्पसंख्यकों को पहले जो 4 फीसदी आरक्षण अलग से मिल रहा था, उसे 2सी और 2डी में बांटा जा रहा है। वोक्कालिगा के लिए अब आरक्षण 4 से बढ़ाकर 6 फीसदी किया जा रहा है। वहीं, लिंगायत और वीरशैव वगैरा को जो 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा था, वो अब 7 फीसदी होगा।