ओवैसी की पार्टी हर चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है। कई जगह वे जीते भी हैं, लेकिन इसी वजह से अन्य विपक्षी दल ओवैसी को वोट काटने वाला बताकर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाती है। विपक्षी दलों की किसी भी बैठक में असदुद्दीन ओवैसी को कभी बुलाया भी नहीं जाता है।
ओवैसी की एआईएमआईएम गुजरात विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। कुल 182 में से करीब 45 सीटों पर वो उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं। ओवैसी गुजरात की बिलकीस बानो के गैंगरेप के दोषियों को रिहा किए जाने का मुद्दा जोर-शोर से उठाते रहे हैं।ओवैसी अपनी हिंदू-मुस्लिम सियासत के लिए भी निशाना बनते रहते हैं।
बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर के बारे में एक टीवी डिबेट में कथित तौर पर विवादित बयान दिया था। नूपुर के खिलाफ 3 और 10 जून को कई शहरों में दंगे हुए। बीते दिनों महाराष्ट्र के अमरावती और राजस्थान के उदयपुर में दो लोगों की कट्टरपंथियों ने इस वजह से हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर नूपुर का समर्थन किया था।
याचिकाकर्ता हिंदूसेना ने दिल्ली पुलिस को एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी व पार्टी विधायक वारिस पठान और अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के निर्देश देने का निवेदन किया। याचिका में कहा गया कि इनके भाषणों से दिल्ली में सांप्रदायिक माहौल बढ़ा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली हिंसा के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली में लोगों को उकसाने का काम कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकार कर रही है।
मीडिया से बात करते हुए वारिस पठान ने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से मुझे हिंदू धर्म विरोधी बताया जा रहा है। मैं किसी भी हिंदू भाइयों के खिलाफ नहीं हूं। मैंने उस दिन जो कुछ भी कहा वो नागरकिता कानून के खिलाफ गुस्से में कहा।'
वारिस पठान ने बिना नाम लिए कहा कि ‘100 करोड़ (हिंदुओं) पर 15 करोड़ (हिंदू) भारी पड़ेंगे।’ उन्होंने कहा कि अगर आजादी दी नहीं जाती तो छीनना पड़ेगा। वारिस पठान के इस बयान के बाद राजनीति गरम हो गई है।
घृणा पैदा करने वाले इस बयान पर मुस्लिम मौलवियों का कहना है कि हिंदू मुसलमान के साथ खड़ा है और मुसलमान हिंदू के साथ खड़ा है। इस तरह की विचारधाराओं से देश को नुकसान होगा।