नई दिल्ली। श्रमिकों / कामगारों के लिए कोरोना आपदा में यूपी सबसे महफूज ठिकाना बनकर उभरा है। यूपी अकेला ऐसा प्रदेश बन चुका है जहां से एक भी अप्रवासी मजदूर ने पलायन नहीं किया है। उल्टा यहां पर देश के दूसरे हिस्सों से सबसे ज्यादा दस लाख प्रवासी श्रमिक/ कामगार वापिस लौटे हैं। इस प्रदेश में सबसे बड़ी आबादी के बावजूद योगी सरकार लगातार इन सबके लिए भोजन, रोजगार, भरण पोषण और सुरक्षा के इंतजाम कर रही है।
लॉकडाउन के दौरान भी यूपी की बंद पड़ी औद्योगिक इकाईयों से योगी सरकार ने हर कर्मचारी को भुगतान सुनिश्चित किया है। इन इकाईयों ने अब तक 1592.37 करोड़ रुपए वेतन और मानदेय का बड़ा भुगतान किया है। इतना ही नहीं बल्कि योगी सरकार के प्रयास से पहले लॉकडाउन दौरान भी प्रदेश में सभी 119 चीनी मिलें चलती रहीं। साथ ही 12000 ईंट भट्ठे और 2500 कोल्ड स्टोरेज भी लगातार चलते रहे।
इन चीनी मिलों के जरिए लगभग 1000 भट्ठे में और लगभग 200 कोल्ड स्टोरेज में लोगों को लगातार रोज़गार और मानदेय मिलता रहा है। दूसरे लॉकडाउन में योगी सरकार ने कई बड़ी औद्योगिक इकाईयां चलवाईं जिनमें कुल 2.12 लाख लोगों को रोजगार मिला है। इसी फेज में एमएसएमई यानि छोटे और मझोले उद्योंगे के जरिए 16.40 लाख लोगों को रोजगार दिया गया।
यूपी में मनरेगा के तहत प्रतिदिन 23.6 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। योगी सरकार अब तक 31.70 लाख निराश्रित एवं निर्माण श्रमिकों को रूपए 1000 का भरण-पोषण भत्ता और मुफ्त खाद्यान्न मुहैया करा चुकी है।