newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

व्हाइट से ग्रीन होने लगी है अंटार्कटिका की बर्फ, देखकर वैज्ञानिक हो गए हैं हैरान!

अंटार्कटिका पेनिनसुला के कुछ हिस्सों में सतह पर फैलने वाली शैवाल जिसे काई भी कहा जाता है उसके बढ़ने का अनुमान रिसर्चर्स ने लगाया है और यह सब दुनियाभर में बढ़ते तापमान के कारण है।

अंटार्कटिका। दुनिया कोरोना से जूझ रही है। मानव जाति खतरे में है। लेकिन सिर्फ इस बीच प्रकृति में भी लगातार हो रहे बदलाव साफ तौर देखे जा रहे हैं। अंटार्कटिका (Antarctica) दुनिया की सबसे ठंडी जगहों में से हैं। यहां दूर-दूर तक नजरें दौड़ाओ तो केवल बर्फ की सफेद चादर ही नजर आती है। हालांकि अब इस बर्फ का रंग सफेद से हरा होने लगा है।

अंटार्कटिका पेनिनसुला के कुछ हिस्सों में सतह पर फैलने वाली शैवाल जिसे काई भी कहा जाता है उसके बढ़ने का अनुमान रिसर्चर्स ने लगाया है और यह सब दुनियाभर में बढ़ते तापमान के कारण है।

इस क्लाइमेंट चेंज ने साइंटिस्ट्स को भी हैरानी में डाल दिया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे के रिसर्चर्स ने दुनिया के सबसे बंजर महाद्वीप में हरे शैवाल की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए ऑन-द-ग्राउंड एक नक्शा तैयार किया है। इस नक्शे से पता चलता है कि अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में काई काफी फैल रही है।

यह नक्शा रिसर्चर्स ने सैटेलाइट के डेटा और साउथ पोल पर गर्मियों के दौरान दो बार समय बिताकर तैयार किया है। 1.9 स्क्वायर किलोमीटर में 1600 से ज्यादा अलग-अलग जगहों पर काई का प्रमाण मिला है। रिसर्चर्स का मानना है कि अंटार्कटिका के इस हरे शैवाल को स्पेस से भी देखा जा सकता है।

यह ज्यादातर उन इलाकों में तेजी से फैल रहा है, जहां पर ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बर्फ पिघलती जा रही है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, कैम्ब्रिज के प्लांट साइंस डिपार्टमेंट के मैट डेवी का कहना है कि यह शैवाल ज्यादातर तटीय इलाकों में देखने को मिला है। इस शैवाल के कारण अंटार्कटिका वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड कैप्चर कर रहा है। बहुत सारे लोग सोचते हैं कि अंटार्कटिका में सिर्फ बर्फ और पेंग्विन हैं। वास्तव में जब फ्रिंज के चारों ओर देखते हैं तो यहां प्लांट्स की लाइफ बहुत ज्यादा नजर आती है।

कुछ रिसर्चर्स का यह भी मानना है कि साउथ पोल में तेजी से फैल रहे शैवाल के पीछे पेंग्विन भी हो सकते हैं। पशुओं और पक्षियों के मल से शैवाल फैल रहा है। 60 प्रतिशत शैवला उस इलाके में पाया गया है, जहां पर पेंग्विन रहते हैं।