नई दिल्ली। पाकिस्तान हैं कि मानता नहीं। ये लाइन आपने कई बार टीवी समाचार में सुनी होगी और इस लाइन को समझना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान है। पाकिस्तान की सच्चाई केवल भारतवासी ही नहीं, बल्कि खुद उनके ही देश के लोगों के साथ पुरी दुनियां को पता है। एक तरफ जहां पाकिस्तान से खुद का देश नहीं संभाला जा रहा हैं, वहीं, दूसरी तरफ उसके सरकार में बैठे मंत्री कश्मीर पर अपना हक जताने की बात करने से परहेज नहीं करते हैं। हाल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पाकिस्तान में सरकार बनाने वाली शहबाज शरीफ के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ बात करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं। हिंदुस्तान के खिलाफ बात करते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म करके बहुत बड़ी गलती की है। हिंदुस्तान ने ऐसा करके संयुक्त राष्ट्र की प्रस्तावना का उल्लंघन किया है। इसके आगे उन्होंने कहा- हिंदुस्तान की सेना कश्मीर में रह रहे लोगों के साथ अत्याचार करती है। भारत की सरकार द्वारा ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म करके संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन किया है। ऐसे करके परिसीमन आयोग की सिफारिशों जैसे कदम सिर्फ कश्मीर के लोगों पर ही नहीं बल्कि संयुक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और उसकी प्रस्तावना व चौथे जिनेवा कन्वेंशन पर भी हमला है।
Foreign Minister?? @BBhuttoZardari raises #Kashmir issue in @UN on Open debate in connection with “Conflict & food security” under the agenda item “Maintenance of international peace &security”Bilawal urge to #UNSC Resolve the Kashmir dispute, open the door of peace in South Asia pic.twitter.com/DWGGZWA3FC
— Ghulam Abbas Shah (@ghulamabbasshah) May 19, 2022
भारत ने किया विरोध
दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री सयुक्त राष्ट्र में इन बयानों के द्वारा कश्मीर पर हक जताने की नापाक कोशिश कर रहे थे। जिसका हिंदुस्तान के कड़ा विरोध किया। संयुक्त राष्ट्र में मौजूद भारत के स्थाई मिशन के काउंसलर राजेश परिहार ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि लद्दाख और जम्मू कश्मीर दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और हमेशा रहेंगे। इसमें वो भी इलाके हैं जो अभी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं।