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खुशखबरीः अब इस कंपनी ने कोरोना की दवा का मानव परीक्षण किया शुरू

अमेरिका की एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में इंसानों पर वैक्सीन के प्रयोग को लेकर अच्छी खबर दी है। कंपनी ने कहा है कि दवा इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी।

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच इसके इलाज को लेकर हर देश अपने तरीके से लगा हुआ है। इसके वैक्सीन निर्माण को लेकर और ट्रायल को लेकर कुछ देश तो दावा भी कर चुके हैं। इन सबके बीच कोरोना के वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। बता दें कि अमेरिका की एक कंपनी ने कोरोना वायरस संक्रमण की दवा का मनुष्यों में परीक्षण शुरू करने की घोषणा कर दी है।

delhi corona

बता दें कि अमेरिका की एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में इंसानों पर वैक्सीन के प्रयोग को लेकर अच्छी खबर दी है। कंपनी ने कहा है कि दवा इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी। बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ‘नोवावैक्स’ के लीड रिसर्चर डॉ. ग्रिगोरी ग्लेन के मुताबिक मेलबर्न और ब्रिस्बेन शहर के 131 लोगों पर इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है।

ग्लेन ने ‘नोवावैक्स’ के मैरीलैंड स्थित मुख्यालय से ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम दवा और टीकों का साथ-साथ यह सोच कर निर्माण कर रहे है कि हम दिखा पाएंगे कि यह कारगर है और वर्ष के अंत तक इसे लोगों के लिए उपलब्ध करा सकेंगे।’ इससे पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल टेडरॉस एडनॉम ने संयुक्त राष्ट्र की इकॉनोमिक एंड सोशल काउंसिल को जानकारी दी थी है कि कोरोना संक्रमण की वैक्सीन बनाने के लिए तेजी से कम चल रहा है और ये अनुमानित वक़्त से पहले तैयार कर ली जाएगी।

टेडरॉस ने बताया कि कुल 7 से 8 ऐसी टीमें हैं जो इस वैक्सीन को बनाने के बेहद करीब हैं और जल्द ही दुनिया को एक बेहतरीन खबर मिल सकती है। वैक्सीन के ट्रायल को लेकर टेडरॉस ने कहा कि, कई देशों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और करीब 100 अलग-अलग टीमें वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं और इनमें से 8 ऐसी हैं जो इसके बेहद करीब भी हैं।

उन्होंने कहा कि, दो महीने पहले हमने अनुमान लगाया था कि इसे बनने में 12 से 18 महीने का वक़्त लग सकता है लेकिन काम में तेजी आई है और ये समय से पहले विकसित कर ली जाएगी। हालांकि टेडरॉस ने देशों से अपील की है कि उन्हें रिसर्च और अनुसंधान के लिए करीब 8 बिलियन डॉलर जुटाया गया है। वैक्सीन बनने के बाद बड़ी मात्रा में उसके प्रोडक्शन की भी ज़रुरत पड़ेगी इसलिए ये रकम कम है। टेडरॉस ने बताया कि बीते दिनों उन्होंने 40 देशों से इस बारे में अपील भी की है।

Vaccine

गौरतलब है कि चीन, अमेरिका और यूरोप में करीब दर्जन भर प्रायोगिक दवाएं परीक्षण के प्रारंभिक चरण में हैं अथवा उनका परीक्षण शुरू होने वाला है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कोई भी दवा सुरक्षित और कारगर साबित होगी भी या नहीं लेकिन कई दवाएं अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं और भिन्न तकनीकों से बनाई गई हैं। हालांकि इन सबसे ये उम्मीद जरूर जगी है कि कोरोना जैसी महामारी को लेकर कोई ना कोई दवा सफल हो सकती है।