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तो क्या अगस्त से दिसंबर तक कोरोनावायरस की बात छुपाता रहा चीन, हुआ खुलासा!

कोरोनावायरस को लेकर चीन दुनिया के निशाने पर है। दुनिया के कई बड़े देश चीन पर कोरोना का सच छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। अमेरिका और खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन पर आरोप लगाते रहे हैं।

बीजिंग। कोरोनावायरस को लेकर चीन दुनिया के निशाने पर है। दुनिया के कई बड़े देश चीन पर कोरोना का सच छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। अमेरिका और खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन पर आरोप लगाते रहे हैं कि कोरोना वायरस को वुहान की एक लैब में बनाया गया और चीन ने संक्रमण फैलने के बावजूद बाकी की देशों को इसकी गंभीरता के प्रति आगाह नहीं किया। अब हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च में सामने आया है कि चीन में अगस्त महीने में ही संक्रमण फैलने के सबूत हैं। हालांकि चीन ने दुनिया को कोरोना संक्रमण की जानकारी 31 दिसंबर को दी थी।

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कोरोना वायरस से दुनिया भर में 70 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 4 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। अमेरिका समेत कई देश लगातार आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना के फैलने को लेकर चीन सच नहीं बोल रहा है और इससे जुड़े सबूत भी छुपा रहा है। हालांकि चीन इन सभी आरोपों का खंडन करता है और लगातार कह रहा है कि उसने सब कुछ WHO और अन्य एजेंसियों के साथ साझा किया है। बहरहाल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक शोध में दावा किया गया है कि संभवत: चीन में वायरस का दिसंबर से महीनों पहले ही शुरू हो चुका था।

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सैटेलाइट इमेजरी की मदद से किया दावा

इस रिसर्च टीम ने कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी की मदद से वुहान शहर की कुछ तस्वीरों का अध्ययन किया गया है। ये तस्वीरें साल 2019 अगस्त महीने की हैं। इनमें वुहान शहर के अस्पतालों के बाहर बड़ी संख्या में वाहन दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले के महीनों और इससे पिछले कुछ सालों में वुहान में इस तरह भीड़ सिर्फ संक्रमण के चलते ही नज़र आई है। स्टडी के मुताबिक़, संभव है कि रिपोर्ट किये जाने से बहुत पहले ही चीन मे कोविड 19 का प्रकोप शुरू हो चुका था।

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ये भी संभव है कि काफी वक़्त तक चीन को खुद ही इसकी जानकारी नहीं थी। रिसर्च के मुताबिक अगस्त से ही वुहान के पांच बड़े अस्पतालों के बाहर आश्चर्यजनक तौर पर वाहनों की भीड़ थी। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि जो लोग अस्पताल पहुंचे उन्हें मौसम की वजह से खांसी-बुखार और डायरिया के मरीज समझकर इलाज किया गया हो। कोरोना के लक्षण भी सामान्य हैं और डॉक्टर्स को इस बारे में पता ही नहीं चला होगा।

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रिसर्च से काफी मदद मिलेगी

इस रिसर्च को लीड कर रहे डॉ. जॉन ब्राउनस्टेन का कहना है कि साक्ष्य परिस्थितजन्य हैं लेकिन एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह तथ्य वायरस की उत्पत्ति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा उन्होंने कहा- अक्टूबर में कुछ हो रहा था। स्पष्ट रूप से, कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत माने जाने से पहले कुछ तो ऐसा था जिसकी वजह से वुहान के अस्पतालों में इतनी ज्यादा भीड़ थी। बता दें कि चीन ने दिसंबर 2019 की शुरुआत में WHO से निमोनिया जैसी किसी बीमारी एक सामने आने की बात कही थी। 31 दिसंबर को चीन ने कोरोना संक्रमण फैलने कि आधिकारिक घोषणा कर दी थी।