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Donald Trump: अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और चीन का दौरा कर सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप, 100 एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर भी करेंगे दस्तखत

Donald Trump: भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति रहते बहुत बेहतर हुए थे। डोनाल्ड ट्रंप हमेशा ही पीएम नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताते रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच केमिस्ट्री भी अच्छी रही है। मोदी ने अमेरिका में ट्रंप के लिए कार्यक्रम भी किया था। वहीं, अहमदाबाद में भी मोदी ने ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रंप का भव्य स्वागत समारोह कराया था।

वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालते ही 100 एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करेंगे। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद चीन और भारत के दौरे पर जा सकते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों ही फोन पर बात की थी। दोनों के बीच कई मसलों पर बातचीत हुई। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने पहले कहा था कि वो चीन समेत कई देशों पर टैरिफ बढ़ाना चाहेंगे, लेकिन फिलहाल लग रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ अच्छे रिश्ते कायम करना चाहते हैं।

modi and trump

भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति रहते बहुत बेहतर हुए थे। डोनाल्ड ट्रंप हमेशा ही पीएम नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताते रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच केमिस्ट्री भी अच्छी रही है। मोदी ने अमेरिका में ट्रंप के लिए कार्यक्रम भी किया था। वहीं, अहमदाबाद में भी मोदी ने ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रंप का भव्य स्वागत समारोह कराया था। अब जानकारी ये मिल रही है कि अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का इरादा भारत का दौरा करने का भी है। ट्रंप अगर भारत आते हैं, तो अमेरिका के साथ और बेहतरीन रिश्ते बनने के साथ ही भारत के साथ सहयोग के तमाम रास्ते खुल सकते हैं।

अमेरिका और भारत में हमेशा अच्छे रिश्ते नहीं थे। उस वक्त अमेरिका की सरकारें भारत के दुश्मन पाकिस्तान का पक्ष लेती थीं। 1965 और 1971 की जंग के दौरान अमेरिका से मिले हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान की सेना ने भारत के खिलाफ किया था। शीतयुद्ध के दौर में अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 जैसे घातक लड़ाकू विमान भी दिए थे। फिर 1998 में जब भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया, तो अमेरिका ने भारत पर बैन भी लगाया, लेकिन समय के साथ अमेरिका को समझ आया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी हैसियत है। नतीजे में अमेरिका की सरकारों ने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। सिविल न्यूक्लियर डील और तमाम हथियारों के सौदे इसका उदाहरण हैं।