नागरिकता संशोधन कानून पर यूरोपीय संसद में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
सीएए पर वोटिंग कैंसिल होने के पीछे की जानकारी अभी सामने नहीं आई है। जो खबरें सामने आ रही हैं उसके मुताबिक कहा जा रहा है कि यूरोपियन पार्लियामेंट में पाकिस्तान के ऊपर भारत की जीत हुई है।
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता हाथ लगी है। यूरोपियन पार्लियामेंट में सीएए के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग टाल दी गई है। पहले जो वोटिंग गुरुवार को होने वाली थी वो अब 31 मार्च को होगी। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। सीएए पर वोटिंग कैंसिल होने के पीछे की जानकारी अभी सामने नहीं आई है। जो खबरें सामने आ रही हैं उसके मुताबिक कहा जा रहा है कि यूरोपियन पार्लियामेंट में पाकिस्तान के ऊपर भारत की जीत हुई है।
दरअसल, बिजनेस एजेंडा के क्रम में दो वोट थे। पहला प्रस्ताव को वापस लेने को लेकर था। इसके पक्ष में 356 वोट पड़े और विरोध में 111 वोट डाले गए। वहीं दूसरा प्रस्ताव वोटिंग बढ़ाने को करने पर था। इसके पक्ष में 271 और विरोध में 199 वोट पड़े।
यूरोपीय संसद में पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश सदस्य (एमईपी) शफाक मोहम्मद द्वारा भारत के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था। शफाक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के करीबी माने जाते हैं। एक सूत्र ने कहा, “ब्रिटिश मूल के सदस्य शफाक मोहम्मद द्वारा यूरोपीय संसद में ब्रेक्जिट के समक्ष भारत के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए किए गए कठोर प्रयास असफल हो गए।”
मतदान के टालने के जवाब में, सरकारी सूत्रों ने कहा कि ‘भारत के दोस्त’ यूरोपीय संसद में ‘पाकिस्तान के दोस्त’ पर हावी रहे। भारत का कहना है कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है और लोकतांत्रिक साधनों के माध्यम से एक उचित प्रक्रिया के तहत अपनाया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में हमारे दृष्टिकोण को समझा जाएगा।
Government Sources: CAA is a matter internal to India and has been adopted through a due process through democratic means. We expect that our perspectives in this matter will be understood by all objective and fair-minded Members of the European Parliament. https://t.co/ThTDHNcNcV
— ANI (@ANI) January 29, 2020
गौरतलब है कि यूरोपीय संसद की ओर से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है। भारत प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया जता चुका है। भारत ने यूरोपीय संघ (ईयू) से कहा है कि हमारा आंतरिक मामला है। इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी इसपर प्रतिक्रिया व्यक्त की। ओम बिड़ला ने ईयू संसद के अध्यक्ष से कहा कि एक विधान मंडल का दूसरे विधान मंडल पर फैसला देना अनुचित है, इस चलन का निहित स्वार्थों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है।