वाशिंगटन। कोरोनावायरस के बीच भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां दुनिया भर के लिए एक उम्मीद की किरण है क्योंकि भारत में कोरोना वायरस के इलाज में असरदार बताई जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का प्रोडक्शन बड़ी मात्रा में होता है। इसीलिए ब्राजील, अमेरिका जैसे देशों ने भारत से इस दवाई को भेजने के लिए गुहार लगाई थी।
अब इस दवाई की एक खेप शनिवार को अमेरिका पहुंच गई। गौरतलब है कि इसे कोविड-19 के उपचार के लिए संभावित दवा के रूप में देखा जा रहा है। कुछ दिन पहले कोरोना के खिलाफ जारी जंग में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से मदद के तौर पर इस दवाई की मांग की थी।
जिसके बाद भारत सरकार ने अमेरिका और कुछ अन्य देशों की मदद करने के लिए मलेरिया-रोधी इस दवा के निर्यात पर लगा प्रतिबंध मानवीय आधार पर हटा दिया था। इस फैसले के साथ ही भारत ने अमेरिका के साथ अपने बेहतरीन रिश्तों को निभाया है।
बता दें अमेरिका में 17 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 1,08,867 लोगों की इस भयावह महामारीं से मौत हो गई है। अमेरिका 20,000 से अधिक मौतों और संक्रमण के लगभग 5,30,000 मामलों के साथ वैश्विक हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है। अमेरिका में लगातार तेजी से बढ़ रहे कोरोनावायरस के मामलों से अमेरिकी सरकार चिंतित है। वहीं अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ सूत्रों के मुताबिक अमेरिका में लाखों मौतें हो सकती हैं।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हमारे साथियों को हमारा पूरा सहयोग है। भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की खेप आज नेवार्क हवाईअड्डे पर पहुंच गई है।
Supporting our partners in the fight against #Covid19. Consignment of hydroxichloroquine from India arrived at Newark airport today. pic.twitter.com/XZ6utQ6JHr
— Taranjit Singh Sandhu (@SandhuTaranjitS) April 11, 2020
गौरतलब है कि भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है और इसका करीब 70 फ़ीसदी उत्पादन भारत में ही होता है।