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अमेरिका ने चीन के खिलाफ उठाया यह कदम तो फंस गए इमरान, अब क्या करेंगे?

उइगुर मुस्लिमों को हिरासत में लेने से चीनी अधिकारियों को रोकने के लिए यूएस कांग्रेस ने विधेयक को मंजूरी दे दी है।

बीजिंग। कोरोना को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बिल्कुल भी थमने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं तो चीन अपनी सेनाओं को अमेरिकी धमकियों की वजह से हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने के निर्देश दे चुका है। अब जारी तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए चीन को पटखनी देने का प्लान बना लिया है।

Trump jinping

इसके तहत उइगुर मुस्लिमों को हिरासत में लेने से चीनी अधिकारियों को रोकने के लिए यूएस कांग्रेस ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को उइगुर मुसलमानों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करते हुए वीटो करने या कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास विधेयक भेजा।

इससे अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव और बढ़ सकता है। इस अधिनियम के खिलाफ केवल एक वोट पड़ा। इसके अलावा सभी वोट इसके पक्ष में पड़े। इसके लिए टैली 413-1 थी। सीनेट ने सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया। इससे अब चीन पर मानवाधिकार प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप  पर भी दबाव डाला गया है।

यह बिल चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगुर और अन्य मुस्लिम समूहों के दमन के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रतिबंधों का आह्वान करता है। बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही ट्रेड वॉर, साउथ चाइना सी और कोरोना वायरस को लेकर जांच पर विवाद है।

इमरान के लिए मुसीबत बना बिल

वहीं यह बिल इमरान खान के लिए मुसीबत साबित हो सकती है। वो न तो इस बिल का खुलकर विरोध कर सकेंगे और न ही समर्थन। गौरतलब है कि उइगुर मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर आज तक पाकिस्तान से कोई विरोध सामने नहीं आया है।

imran khan on india

बता दें कि पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद के लिए चीन की जरूरत है जबकि चीन को भी भारत को घेरने के लिए आए दिन पाकिस्तान की मदद लेनी पड़ती है। वहीं, इमरान खान यह भी नहीं चाहेंगे कि वह अमेरिका के कानून का विरोध करें क्योंकि वहां से भी पाकिस्तान को भारी-भरकम मदद मिल रही है।

कौन हैं उइगुर मुस्लिम

उइगुर पूर्वी और मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की जाति की एक जनजाति है। वर्तमान में ये लोग अधिकतर चीन के श़िंजियांग में रहते हैं। इनमें से लगभग 80 प्रतिशत इस क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित तारिम घाटी में रहते हैं। उइगुर लोग उइगुर भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषा परिवार की एक बोली है। ऐतिहासिक रूप से 14वीं सदी में इन्हें हूनान प्रांत के एक विद्रोह को दबाने के लिए मिंग राजा द्वारा बुलाया गया था। कुछ सैनिक वहीं बस गए थे जिन्हें शासक ने जिआन की उपाधि दी थी।

आज भी कुछ उइगुर हुनान प्रांत में रहते हैं। उइगुर लोगों को इस नाम से विश्वयुद्धों के बीच किसी समय से बुलाना शुरु किया गया। इससे पहले इनको तुर्की, मुस्लिम या सारत कहते थे और उस समय उइगुर शब्द का प्रयोग किसी प्राचीन साम्राज्य के लिए किया जाता था। 1921 में हुए ताशकंद सम्मेलन में इन्हें उइगुर सम्बोधन प्रदान किया गया।

1933 और 1944 में दो बार उइगुर अलगाववादियों ने स्वतंत्र पूर्वी तुर्किस्तान गणराज्य की घोषणा की।1949 में चीन ने इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया और 1955 में इसका नाम बदलकर शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र कर दिया। 1949 से पहले तक चीन के शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र की कुल आबादी का 95 फीसदी उइगुर मुस्लिम थे लेकिन चीन में 60 सालों के कम्यूनिस्ट शासन के बाद अब वे सिर्फ 45 फीसदी रह गए हैं