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अमेरिका और ब्रिटेन ने शुरू की घेराबंदी तो डर गया चीन, भारत के साथ आपसी मुद्दे सुलझाने में सक्षम

भारत में ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर फिलिप बर्टन ने कहा था कि उनका देश चीन द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में पेश की जा रही चुनौतियों को लेकर सतर्क है।

नई दिल्ली। भारत से विवाद के बाद चीन को कई देशों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भारत की जमीन कब्जा करने की नीयत से चीन अपनी चालें चल रहा है लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ रही है। बता दें कि पश्चिमी देशों की तरफ से भारत को चीन के खिलाफ मजबूत समर्थन मिल रहा है, ऐसे में इस रुख से अब ड्रैगन बैकफुट पर दिखाई दे रहा है।

Ind America China

23 जुलाई को ही ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप बर्टन की चीन के खिलाफ टिप्पणी से तिलमिलाए चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने कहा ​है कि भारत और चीन में इतनी बुद्धिमता है कि वे दोनों आपसी मुद्दों को आपस में सुलझा सकते हैं। बता दें कि ब्रिटिश उच्चायुक्त ने लद्दाख सीमा से लेकर साउथ चाइना सी तक चीन की दादागिरी पर सवाल उठाए थे। वहीं भारत को पहले ही समर्थन दे चुके अमेरिका द्वारा ह्यूस्टन में वाणिज्य दूतावास बंद कर चीन को मुश्किल में डाल दिया है।

Sun Weidong China

बता दें कि चीनी राजदूत सुन वीडोंग ने एक बयान में कहा कि भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त द्वारा चीन के बारे में जो टिप्पणी की गई हैं वो पूरी तरह से गलत हैं और उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं। उन्होंने कहा कि सीमा का प्रश्न चीन और भारत के द्विपक्षीय दायरे में आता है। हमारे पास मतभेदों को सुलझाने के लिए ज्ञान भी है और क्षमता भी। यहां तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।

साउथ चाइना सी को लेकर चीनी राजदूत ने कहा कि साउथ चाइना सी में असली चुनौतियां इस क्षेत्र के बाहर की शक्तियों द्वारा पेश की जा रही हैं। जो क्षेत्रीय और समुद्री विवादों को बढ़ाती हैं और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कम करती हैं। हांगकांग मामलों पर चीन कोई भी विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगा।

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भारत में ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर फिलिप बर्टन ने कहा था कि उनका देश चीन द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में पेश की जा रही चुनौतियों को लेकर सतर्क है। उन्होंने कहा कि हांगकांग ब्रिटेन और चीन के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते का साफ उल्लंघन है। इसके साथ ही चीन साउथ चाइना सी में जा कर रहा है उसे लेकर भी हमारी नीति स्पष्ट है। बता दें कि चीन द्वारा हांगकांग में लागू किऐ गए नेशनल सिक्योरिटी लॉ को लेकर ब्रि​टेन की सरकार पहले ही चीन के खिलाफ विरोध दर्ज करा चुकी है।