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पीएम मोदी की चेतावनी के बाद घबराए चीनी राष्ट्रपति, अपनी सेना को दिए अब ये निर्देश

उन्होंने कहा कि जब भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात आएगी तो वह ऐसी किसी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन वह उकसाने पर हर हाल में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी के बाद से चीन डरा हुआ है। जिसके बाद चीन की सरकार लगातार भारत को गीदड़भभकी देने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं चीन अपना सारा समय भारत को धमकी देने में बिता रहा है। बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत के बाद भारत-चीन गतिरोध पर चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जब भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात आएगी तो वह ऐसी किसी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन वह उकसाने पर हर हाल में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

Narendra Modi Xi jin ping

वहीं मोदी सरकार की चेतावनी के बाद चीन पूरी तरह से बौखलाया हुआ है और अब नापाक हरकत करने की कोशिश में लग गया है। इस कड़ी में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को और मजबूत बनाने के लिए सैन्य मैनेजमेंट में सुधार और ट्रेनिंग की गतिविधि बढ़ाने के लिए कहा है। चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ के अनुसार देश की सेना के प्रमुख की भी जिम्मेदारी संभालने वाले शी ने सशस्त्र बलों के रणनीतिक प्रबंधन प्रशिक्षण पर टेली-कॉन्फ्रेंस में ये महत्वपूर्ण निर्देश दिए।

shi jinping

जिनपिंग ने इस दौरान सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक प्रबंधन प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। इतना ही नहीं जिनपिंग ने कहा कि प्रबंधन अवधारणाओं को उन्नत करने के लिए उद्देश्यों, समस्याओं तथा परिणामों पर केंद्रित एवं रणनीतक प्रबंधन की प्रणाली को सुधारने की दिशा में प्रयास होने चाहिए।

Indian -China Army

चीनी राष्ट्रपति के बयान ऐसे समय में आए हैं जब पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बहुत आक्रामक रुख अपना रखा है और अपने दावे कर रहा है जिसे भारत 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी के प्रबंधन के समस्त समझौतों का उल्लंघन करने वाला बताता है।

चीन की चालाबाजी का दिया जाएगा करारा जवाब

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय वायुसेना ने 33 नए एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए सरकार को एक प्रस्ताव दिया है। इनमें रूस के 21 मिग-29 और 12 Su-30MKI एयरक्राफ्ट शामिल हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि वायुसेना इसके लिए बीते कुछ दिनों से काम कर रही थी, लेकिन अब इसे गति दी गई है। एयरक्राफ्ट खरीदने में 6000 करोड़ रुपए की लागत आएगी। अगले सप्ताह इसके प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिए जाएंगे।

Indian Air Force MiG 27

सूत्र ने बताया कि प्रस्ताव में 12 Su-30 MKI का अधिग्रहण शामिल है, जो विभिन्न दुर्घटनाओं में वायु सेना द्वारा गंवाए विमानों की जगह लेगा। भारत ने अलग-अलग बैचों में 10 से 15 साल की अवधि में 272 Su-30 फाइटर जेट्स के ऑर्डर दिए थे। वरिष्ठ अधिकारियों को लगता है कि, विमानों की यह संख्या भारी-भरकम सर्विस के लिए पर्याप्त है।

भारतीय वायुसेना जिस 21 मिग 29 का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है, वे रूस के हैं। इसने वायुसेना को नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करने के लिए इन विमानों को बेचने की पेशकश की है। वायु सेना ने यह जांचने के लिए एक अध्ययन किया है कि क्या ऑफर पर मिग -29 के एयरफ्रेम लंबे समय तक काम करने के लिए पर्याप्त हैं और वे लगभग नई स्थिति में पाए गए हैं।