सीमा विवाद के बाद भी भारत की दरियादिली, भूकंप में नष्ट हुए नेपाल के 56 स्कूल बनवाएगा

भारत और नेपाल के बीच आजकल सीमा को लेकर तनातनी का माहौल है। मगर इसके बावजूद भी भारत कूटनीतिक नजरिये से नेपाल का साथ दे रहा है। भारत नेपाल के साथ बेहतर सम्बंध बनाए रखने पर जोर दे रहा है।

Avatar Written by: June 9, 2020 5:42 pm

नई दिल्ली। भारत और नेपाल के बीच आजकल सीमा को लेकर तनातनी का माहौल है। मगर इसके बावजूद भी भारत कूटनीतिक नजरिये से नेपाल का साथ दे रहा है। भारत नेपाल के साथ बेहतर सम्बंध बनाए रखने पर जोर दे रहा है। नेपाल में भारतीय दूतावास ने स्पष्ट कहा है कि भले ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की स्थिति हो लेकिन भारत अपने सभी वादों पर कायम है।

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भारत ने स्पष्ट कहा है कि साल 2015 में शक्तिशाली भूकंप में तबाह हुए नेपाल के 56 स्कूलों को फिर से बनवाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने इस काम के लिए नेपाल को 184 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। उधर सीमा विवाद के मसले में नेपाल अब कूटनीतिक पैंतरेबाजी में जुट गया है और अपने नक़्शे में भारत के तीन इलाकों को नेपाल की सीमा में दिखाया गया है।

nepal and india border

गोरखा, नुवाकोट, धादिंग, दोलखा, काभ्रेपलांचोक, रामेछाप, सिंधुपालचोक जिलों में 56 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को बनाने के लिए भारतीय दूतावास और नेपाल के शिक्षा मंत्रालय के केंद्रीय स्तर परियोजना क्रियान्वयन इकाई (सीएलपीआईयू) के बीच सात सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुए हैं। भारत का, रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान पुनर्निर्माण कार्य में तकनीकी विशेषज्ञता देगा. स्कूलों का निर्माण नेपाल के भूकंप-प्रतिरोधक पुनर्निर्माण मानदंडों के तहत किया जाएगा। स्कूलों में शैक्षणिक खंड, कक्षाएं, फर्नीचर और स्वच्छता सुविधाएं होगी, नेपाल में अप्रैल 2015 में 7.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था जिसमें करीब नौ हजार लोगों की मौत हुई थी और तकरीबन 22 हजार लोग जख्मी हुए थे।

भारत के साथ सेक्रेट्री लेवल की बातचीत चाहता है नेपाल

नेपाल की सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत की मांग कर रही है हालांकि भारत ने स्पष्ट कहा है कि दूनों देशों के बीच भरोसा कायम होने पर दुबारा बातचीत शुरू की जा सकेगी। भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने हमेशा बातचीत की पेशकश की है, लेकिन यह बातचीत सार्थक होनी चाहिए। नेपाल सरकार ने 1 जून को अपने नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संसद में बिल पेश किया है। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाके लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा शामिल हैं। इससे पहले, 27 मई को ओली संविधान संशोधन का बिल पेश नहीं कर पाए थे। मधेसी पार्टियों ने बिल पर असहमति जताई थी।

नेपाल का चीन झुकाव आ रहा सामने

भारत ने नेपाल के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा था कि नेपाल का नया नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और (चीन) के कहने पर किया। बता दें कि भारत और नेपाल 1800 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं। गौरतलब है कि भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था, इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया मानचित्र जारी किया था। इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया।

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