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भारत के खिलाफ धोखेबाजी अब चीन को पड़ी भारी, इस डील से हुआ इनकार तो ड्रैगन हुआ परेशान

भारत के खिलाफ धोखेबाजी करना अब ड्रैगन को महंगा पड़ रहा है। पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत अपने 20 जवानों की शहादत का प्रतिशोध लेने के लिए हर मोर्चे पर चीन को करारी शिकस्त देने के लिए तैयार हो चुका है।

नई दिल्ली। भारत के खिलाफ धोखेबाजी करना अब ड्रैगन को महंगा पड़ रहा है। पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत अपने 20 जवानों की शहादत का प्रतिशोध लेने के लिए हर मोर्चे पर चीन को करारी शिकस्त देने के लिए तैयार हो चुका है। अब चाहे वो आर्थिक मोर्चा हो या फिर कूटनीतिक या सामरिक हर मोर्चे पर भारत चीन को करारी शिकस्त देने के लिए अब मोर्चा खोल चुका है।

india china meeting

इस बीच भारत ने पिछले साल चीन के लिए काफी फायदेमंद मानी जा रही रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में शामिल होने से इनकार कर दिया था। चीन समेत करीब 15 देशों ने भारत के बिना ही इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे और कहा था कि भारत अगर बाद में चाहे तो इसमें शामिल हो सकता है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि लद्दाख में चीन से जारी तनाव और कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होने के अपने फैसले पर फिर से विचार नहीं करेगा।

india china flag

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गलवान घाटी में तनाव की घटना के बाद भारत किसी भी ऐसे व्यापारिक समझौते में शामिल नहीं होगा जिससे चीन का दबदबा बढ़ने की आशंका है। भारत की डील को दोबारा ना कहने से चीनी मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत को आरसीईपी से बाहर रहने के लिए चीन का बहाना नहीं बनाना चाहिए। अखबार ने लिखा है कि इन खबरों से ये चिंता बढ़ जाती है कि भारत और चीन की सेना के बीच भले ही तनाव कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन भारत रणनीतिक और आर्थिक मामलों में चीन के खिलाफ दुश्मनी निभाना जारी रखेगा।

PM Modi and jinping

दरअसल, रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप यानी आरसीईपी (RCEP) आसियान देशों (ब्रुनेई, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, विएतनाम) और इनके प्रमुख एफटीए सहयोगी देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। इस समझौते के तहत, सदस्य देश व्यापार में एक-दूसरे को टैरिफ समेत कई तरीके की छूट देंगे।

इस समझौते में भारत को भी शामिल होना था लेकिन पार्टनर देशों से आने वाले सामान को टैरिफ फ्री करने के नुकसान को देखते हुए ऐन मौके पर इससे बाहर होने का फैसला किया था। विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत इस समझौते में शामिल होता तो चीन से आयात सस्ता हो जाता और भारतीय बाजार में चीनी सामान की बाढ़ आ जाती। इससे तमाम घरेलू उद्योग बर्बाद हो जाते।