वॉशिंगटन। अमेरिका ने मंगलवार तड़के ड्रोन से हमला कर आतंकी संगठन अल-कायदा के चीफ अयमान अल-जवाहिरी का नाम-ओ-निशां इस दुनिया से मिटा दिया। अमेरिका ने उसे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शेरपुर इलाके में अपने रीपर ड्रोन के हमले में मार गिराया। जवाहिरी यहां एक घर में छिपा हुआ था। ओसामा बिन लादेन के 2011 में मारे जाने के बाद वो ही अल-कायदा का सुप्रीम लीडर बन गया था। अब आपको बताते हैं कि जवाहिरी आखिर किस तरह अल-कायदा तक पहुंचा और लादेन का खास भी बना। पहले जान लीजिए कि अयमान अल-जवाहिरी 2001 के 9/11 हमले के बाद से ही अमेरिका की हिट लिस्ट में था। इस हमले में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। लादेन के बाद अब जवाहिरी को मार गिराने में अमेरिका को करीब 21 साल का वक्त लग गया।
अयमान अल-जवाहिरी 19 जून 1951 को मिस्र में पैदा हुआ था। पेशे से डॉक्टर जवाहिरी ने 15 साल की उम्र में ही मिस्र के सैन्य शासक जमाल अब्दुल नासिर के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था। उसकी भी इच्छा थी कि मिस्र में इस्लामी सरकार बने। वो विभाजनकारी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड का भी सदस्य रहा। मिस्र में 1981 में राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या में जवाहिरी का नाम आया। इसके बाद वो फरार हो गया। इससे पहले 1978 में उसने अजा नोवारी से शादी कर ली थी। अरबी और फ्रेंच बोलने में जवाहिरी निपुण था। बताया जाता है कि एक कॉलेज में ओसामा बिन लादेन से पहली मुलाकात हुई थी। उस कॉलेज में जवाहिरी के पिता प्रोफेसर थे। बाद में वो और लादेन एक साथ पाकिस्तान के पेशावर गए और अफगानिस्तान में रूस के खिलाफ जेहाद में हिस्सा लिया।
अयमान अल-जवाहिरी ने ही इस्लामी आतंकी संगठनों को एकजुट किया। उसने मिस्र के इस्लामिक जेहाद और अल-कायदा का मेल कराया। वो 1993 में सोमालिया में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमले, 1998 में पूर्वी अफ्रीकी देशों में अमेरिकी दूतावासों पर बम धमाकों और साल 2000 में यमन में अमेरिकी पोत यूएसएस कोल पर आत्मघाती हमले की साजिश रचने वालों में भी शामिल था। अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद वो और लादेन अफगानिस्तान की तोरा-बोरा पहाड़ियों पर छिपकर रहने लगे। तब अमेरिका ने हमला किया, लेकिन दोनों बच गए थे। इसके बाद कई बार जवाहिरी की मौत की खबरें आईं, लेकिन हर बार ऑडियो या वीडियो मैसेज जारी कर वो इन खबरों को झुठलाता रहा। बीते दिनों उसने भारत में हिजाब मामले और कश्मीर को लेकर भी बयान जारी किए थे।