नई दिल्ली। बीते दिनों में भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर रिश्तों में तल्खी आई है लेकिन इसके बाद भी भारत की तरफ से नेपाल को मदद का दौर जारी रहा। इन सबके बाद अब संयुक्त राष्ट्र में नेपाल के प्रधानमंत्री का एक ऐसा बयान सामने आया है जो चीन और पाकिस्तान को बिल्कुल पसंद नहीं आएगा। दरअसल भारत हमेशा से आंतकवाद को लेकर सभी देशों को एकजुट होने की वकालत करता रहा है। ऐसे में भारत के इस आह्वान के साथ आते हुए शुक्रवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च-स्तरीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सहमति (CCIT) अपनाने का आह्वान किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि नेपाल अतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी आलोचना करता है और आतंकवाद पर जल्द एक व्यापक सहमति चाहता है।
पाकिस्तान को पसंद नहीं आएगा नेपाल का ये बयान
केपी शर्मा ओली ने कहा कि आतंकी गतिविधियों से केवल आम निर्दोष नागरिकों को चोट पहुंचती है। इसकी कड़ी आलोचना होनी चाहिए। जाहिर है कि जिस तरह से आंतकवाद को लेकर पाकिस्तान अपनी फजीहत करवाता रहता है ऐसे में नेपाल का ये बयान उसे कतई पसंद नहीं आएगा। वहीं नेपाली पीएम ने अपने बयान से चीन को भी नाराज करने की पूरी तैयारी कर ली है।
भारत-चीन सीमा विवाद पर नेपाली पीएम की खामोशी
बता दें कि भारत-चीन सीमा विवाद पर भी नेपाल ने कुृछ भी बोलने की जहमत नहीं उठाई। पहले से रिकॉर्डेड भााषण में नेपाली पीएम ने भारत, चीन या क्षेत्रीय मुद्दों का उल्लेख नहीं किया। लेकिन साथ ही कहा कि काठमांडू अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्षता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत, अंतरराष्ट्रीय कानून और विश्व शांति मार्गदर्शक की विदेश नीति के मानदंड। ये नेपाल की विदेश नीति के आधारभूत कारक हैं।
बता दें कि जिस तरह से चीन नेपाल पर हमेशा रहमों-करम करता रहता है ऐसे में नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र में चीन का पक्ष लेने की बजाय अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की बात कही, वो भी चीन को बहुत ज्यादा रास नहीं आएगा। हालांकि भारत के खिलाफ नेपाल बोलने से बचा रहा।