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कुलभूषण जाधव मामले में पाक हाईकोर्ट ने भारत को दिया वकील नियुक्त करने का मौका

कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) मामले में पाकिस्तान (Pakistan) ने ICJ में मात खाने के बाद लगातार कोई ना कोई चाल चली और हर बार उसे इस मामले में मात खानी पड़ी।

नई दिल्ली/कराची। कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) मामले में पाकिस्तान (Pakistan) ने ICJ में मात खाने के बाद लगातार कोई ना कोई चाल चली और हर बार उसे इस मामले में मात खानी पड़ी। इधर कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस देने को लेकर भी पाकिस्तान अपनी तरफ से चालबाजी करता रहा और दुनिया को यह बताने की कोशिश करता रहा कि भारत ही इस मामले में पहल नहीं कर रहा है। अब इस मामले में पाकिस्तान को एक झटका लगा है क्योंकि वहां की इस्लामाबाद हाईकोर्ट (Islamabad High Court) ने पाक भारत को वकील नियुक्त करने का मौका दिया है।

islamabad high court

पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को लेकर इस्लामाबाद हाईकोर्ट में डिफेंस काउंसिल की नियुक्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई हुई। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने भारत को कुलभूषण जाधव के लिए एक वकील नियुक्त करने का एक और मौका दिया है। साथ ही, मामले की आगे की सुनवाई 6 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

Pakistan Flag

इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि भारतीय अधिकारियों को भी कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने का मौका मिलना चाहिए। वहीं पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार की अपील पर हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रही थी और उसने यादव के लिए वकील (Lawyer) नियुक्त करने की इजाजत दे दी थी।

kulbhushan jadhav pakistan

कुलभूषण जाधव को लेकर न्यायालय की ओर से की गई किए गए फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने बताया कि भारत और जाधव को सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए एक अवसर देने को लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया था। उन्होंने आगे बताया कि हम विदेश में कार्यालय के जरिए एक बार फिर से भारत से संपर्क करेंगे, बता दें कि मामले की सुनवाई 3 सितंबर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

Imran khan Kulbhushan jadhav

आपको बता दें कि पाकिस्तान ने एकतरफा कदम उठाते हुए 22 जुलाई को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जाधव के लिए कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त करने की मांग की थी। हालांकि इस संबंध में भारत सरकार समेत मुख्य पक्षों से 20 मई को लागू अध्यादेश के तहत याचिका दायर करने से पहले विचार विमर्श नहीं किया गया।