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Modi Biden Talks: मकसद था भारत पर दबाव बनाना लेकिन पीएम मोदी का मूड देख बाइडेन की सारी हेकड़ी निकल गई! जानिए मीटिंग की इनसाइड स्टोरी

Modi Biden Talks: ऐसे आलम में इन दोनों ही राजनेताओं की मुलाकात को हल्के में लेना हिमाकत भरा कदम हो सकता है। जाहिर है कि विश्व के दो शीर्ष नेता आपस में मुखातिब होने जा रहे हों और इन मसलों का जिक्र न हो, ऐसा कतई नहीं हो सकता है, तो जाहिर है कि बीते सोमवार को दोनों शीर्ष नेताओं की हुई मुलाकात में इन मसलों का जिक्र किया गया है।

नई दिल्ली। अमेरिका में जहां लोग आफताब की जद में आ चुके थे, तो वहीं भारत में रात गहरी होती जा रही थी…लेकिन इस रात और सुबह के पहर के बीच पूरे विश्व की निगाहें शीर्ष नेताओं के मुलाकात पर टिकी हुई थी…यह मुलाकात थी विश्व के दो भाग्य विधाताओं की…यह मुलाकात थी विश्व के उन दो सियासी सूरमाओं को जो पूरे उपमहाद्वीप की दशा व दिशा तय करने में अहम किरदार अदा करते हैं। यह मुलाकात थी पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की। लेकिन यहां मसला यह नहीं था कि विश्व के दो बड़े सियासी सूरमा एक-दूसरे से मुखातिब होने जा रहे हैं, बल्कि मसला यह है कि जिन परिस्थितियों में ये दोनों एक-दूसरे से मुखातिब हुए हैं, वह बेहद मायने रखता है, जहां एक तरफ विगत एक माह से भी अधिक रूस और यूक्रेन में युद्ध का आलम है, तो वहीं दूसरी तरफ हिंद-प्रशांत महासागर में चीन द्वारा किया जा रहा अतिक्रमण जारी है, तो उधर कोरोना के कहर के चलते उपजी आर्थिक चुनौतियां भी पैर पसारे बैठी हुई हैं।

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ऐसे आलम में इन दोनों ही राजनेताओं की मुलाकात को हल्के में लेना हिमाकत भरा कदम हो सकता है। जाहिर है कि विश्व के दो शीर्ष नेता आपस में मुखातिब होने जा रहे हों और इन मसलों का जिक्र न हो, ऐसा कतई नहीं हो सकता है, तो जाहिर है कि बीते सोमवार को दोनों शीर्ष नेताओं की हुई मुलाकात में इन मसलों का जिक्र किया गया है, लेकिन इस बीच जिस मंशा और ध्येय के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पीएम मोदी संग अपनी मुलाकात की तारीख मुकर्रर करवाई थी, अफसोस वह मुकम्मल नहीं हो पाई। बेचारे बाइडन को छुछे हाथ ही लौटना पड़ गया। आए तो थे वे पीएम मोदी को अपने पाले में लाने लेकिन अफसोस उनकी एक नहीं चली। कोई संकोच नहीं यह कहने में कि इस मुलाकात के मुकम्मल होने के बाद आखिर अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी क कूटनीति को सलाम किया ही होगा। चलिए, अब आगे जानते हैं कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं।

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चलिए पहले बात रूस-यूक्रेन युद्ध की करते हैं। आपको तो पता ही होगा रूस-युक्रेन युद्ध को लेकर भारत हमेशा से ही तटस्थ रहा है। उसने कभी किसी भी मुल्क के पक्ष में अपनी राय जाहिर नहीं की थी। लेकिन दबी जुबां से ही लेकिन भारत का नरम रवैया रुस को लेकर जारी है। हालांकि, कई मौकों पर भारत ने रूस के कदम की आलोचना भी की थी। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बूचा नरसंहार की निंदा की थी। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि कई मौकों पर भारत सख्त फैसले लेने से भी गुरेज नहीं करता है। वहीं, अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध पर यूक्रेन के पक्ष में है। अमेरिका लगातार रूस के दम की आलोचना कर रहा है और यूक्रेन का पक्ष ले रहा है। और अब जब  मोदी और बाइडन की मुलाकात होती है, तो अमेरिकी राष्ट्रपति की पूरी कोशिश रहती है कि कैसे भी मुलाकात के दौरान पीएम मोदी रूस की ओलचना करे और नाटो के समर्थन में बयानबाजी करे। और रूस के पक्ष में अपनी बात रखे।

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विदेशी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी संसद में इसे लेकर राष्ट्रपति बाइडन पर दबाव भी बनाया गया था, लेकिन अफसोस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने ऐसा दांव चला कि जो बाइडन की सारी मंशा धरी की धरी रह गई। पीएम मोदी ने मुलाकात के दौरान कई मसलों पर अपनी राय रखते हुए नहले पर दहला मार दिया। उन्होंने खुद सामने आकर कहा कि हमने रूस के कदम की आलोचना की है। पीएम मोदी ने मुलाकात के दौरान कहा कि हमने दोनों राष्ट्रध्यक्षों से वार्ता कर युद्ध पर विराम लगाने की दिशा में विचार करने का आग्रह किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ही राष्ट्रध्यक्षों के बीच करीब 1 घंटे तक मुलाकात हुई। अब ऐसी स्थिति में आगे चलकर इस मुलाकात की क्या परिणीति निकलकर सामने आती है। इस पर फिलहाल सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।