नई दिल्ली। एक तरफ पूरी दुनिया कोरोनावायरस के कहर से त्राहिमाम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ पूरी दुनिया इस बात को जानने के लिए उत्सुक है कि ये कोरोनावायरस आखिर प्रकृति प्रदत्त है या इस वायरस को किसी लैब में तैयार किया गया था। मानव जाति के लिए तबाही बन चुके इस वायरस को लेकर WHO की एक टीम चीन भी गई थी। हालांकि चीन ने चालबाजी करके WHO की टीम को ज्यादा कुछ पता करने का मौका नहीं दिया। लेकिन अब जो बात निकलकर सामने आ रही है उसकी मानें तो चीन के वुहान लैब में ही कोरोनावायरस को तैयार किया गया था। वैज्ञानिकों को कोविड-19 सैंपल पर मिले वहां के साइंटिस्टों के‘फिंगरप्रिंट’ मिले हैं।
एक नई स्टडी में इस बात का दावा किया गया है कि चीन के वैज्ञानिकों ने ही ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ लैब में कोविड-19 वायरस को तैयार किया था। इसके साथ हबी दावा किया गया है कि इस वायरस को तैयार करने के बाद चीनी वैज्ञानिकों ने इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की ताकि यह पता चल सके कि यह वायरस चमगादड़ की वजह से फैला था।
अब अमेरिका और ब्रिटेन WHO पर इस बात के लिए दवाब बना रहे हैं कि इस मामले की पूरी तरह से जांच की जाए। इस स्टडी को ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन ने किया है। जिन्होंने दावा किया है कि चीन के द्वारा किए गए वायरस में रेट्रो इंजीनियरिंग के सबूत उनके पास हैं।
वहीं स्टडी में इश बात का भी दावा किया गया कि चीन के वुहान लैब में इसको लेकर जो भी सबूत थे उसे नष्ट कर दिया गया। साथ ही इसे छुपाने के साथ गायब भी किया गया। इन वैज्ञानिकों ने दावा किया कि जब वह इसकी वैक्सीन बनाने के लिए कोरोनावायरस के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे तो उन्हें उस वायरस में खास किस्म के फिंगरप्रिंट मिला। जो लैब में वायरस के छेड़छाड़ के सबूत हैं। वहीं अब इस पूरे मामले पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया समुदाय को वायरस का ऑरिजन पता लगाने के लिए आदेश दिया है।