नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस दौरान स्कूलों (Schools) को खुला रखने के बजाय बंद रखने के कारण लंबे समय में अधिक मौतें हो सकती हैं। सिर्फ सोशल डिस्टन्सिंग (Social Distancing) से ही होने वाली मौतों की संख्या घटाने का एक कारगर औजार रही। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं (University of Edinburgh Researchers) द्वारा किए गए अध्ययन में गुरुवार को यह खुलासा हुआ है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ये अध्ययन किया। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के प्राध्यापक एवं अध्ययन दल के मुख्य लेखक ग्रीम आकलैंड ने इस पर अपना बयान दिया और कहा, ”संक्षिप्त अवधि में स्कूलों को बंद रखने से संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या कम रही, लेकिन इस फैसले ने हमें संक्रमण के बाद के चरण के लिये कहीं अधिक खतरे में डाल दिया।
आगे उन्होंने कहा, ”कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम करने के लिये विभिन्न आयु वर्ग की आबादी के लिए अलग-अलग रणनीतियों की जरूरत थी, जिसमें अधिक ध्यान बुजुर्गों और जोखिम ग्रस्त लोगों का बचाव करने पर दिया जाना था।
अध्ययन के नतीजे ‘रिपोर्ट 9 के विश्लेषण पर आधारित हैं। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के इस अध्ययन का इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार की आपात स्थिति पर वैज्ञानिक सलाहकार समूह ने 23 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू करने में किया था। इसके तहत स्कूलों को भी बंद कर दिया गया था।