
नई दिल्ली। अयोध्या के ऐतिहासिक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित श्री रामलला की दिव्य प्रतिमा को अपने हाथों से बनाने वाले सुप्रसिद्ध शिल्पकार अरुण योगीराज हाल ही में बीएपीएस हिंदू मंदिर, अबू धाबी पहुंचे और भगवान के दर्शन किए। मंदिर की भव्यता और दिव्यता को देखकर अरुण योगीराज अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा कि यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक दिव्य शिल्प है जो श्रद्धा से तराशा गया, विश्वास से संकल्पित किया गया और प्रेम से साकार हुआ। विदेशी भूमि पर इतनी उत्कृष्ट कला और भक्ति को देखना अत्यंत भावुक कर देने वाला अनुभव है, इसे देखकर मैं नि:शब्द हूं।
अरुण योगीराज बोले, मैंने जीवनभर भारतीय मूर्तिकला की परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया है। अबू धाबी में इस अद्भुत मंदिर को देखना मेरे लिए गर्व और कृतज्ञता का क्षण है। यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। यह केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और एकता का प्रतीक बनेगा। अरुण योगीराज ने कहा कि बीएपीएस मंदिर ‘विश्व में भारतीय संस्कृति की गौरवगाथा’ है।
बीएपीएस अबू धाबी मंदिर की अरुण योगीराज की यह यात्रा गहरी श्रद्धा, भावनात्मक लगाव और आध्यात्मिक अनुभूति से परिपूर्ण रही। उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति बीएपीएस हिंदू मंदिर की आध्यात्मिक महानता और शिल्प-कला की उत्कृष्टता को रेखांकित करती है। एक शिल्पकार द्वारा एक दिव्य रचना को समर्पित यह श्रद्धांजलि वास्तव में एक अनुपम और ऐतिहासिक क्षण है।
बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी एक दृष्टि में-
– बीएपीएस हिंदू मंदिर मध्य पूर्व का पहला पारंपरिक पत्थर से निर्मित हिंदू मंदिर है, जो सर्वधर्म समभाव और वैश्विक मूल्यों को समर्पित एक आध्यात्मिक व सांस्कृतिक धरोहर है।
– इसे भारत के 2,000 से अधिक कुशल शिल्पकारों द्वारा अत्यंत बारीकी और परंपरानुसार निर्मित किया गया है।
– बिना स्टील या कंक्रीट का उपयोग किए प्राचीन हिंदू शिल्पशास्त्रों के अनुसार मंदिर का निर्माण कराया गया है।
– इस मंदिर के निर्माण के लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने भूमि भेंट की थी, जो भारत और यूएई के गहरे संबंधों का प्रतीक है।
– निर्माण और दर्शन का मार्गदर्शन परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के आध्यात्मिक नेतृत्व में बीएपीएस संस्था द्वारा किया गया।
– मंदिर में सात अलंकृत देवालय हैं, जो हिंदू शास्त्रों की अमर कथाओं का जीवंत चित्रण करते हैं।
– सांस्कृतिक केंद्र, पुस्तकालय, शाकाहारी भोजनालय, सभागार और प्रदर्शनी हॉल भी मंदिर परिसर का हिस्सा हैं।
– फरवरी 2024 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मंदिर का उद्घाटन हुआ।
– यह मंदिर आज विश्व शांति, सहिष्णुता और सभ्यतागत सौहार्द्र का प्रकाशस्तंभ बन रहा है।