
नई दिल्ली। बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन जमात चार मोनाई ने अफगानिस्तान की तर्ज पर तालिबान मॉडल को अपनाने की बात कही है। कट्टरपंथी दल के प्रमुख मुफ्ती सैयद मुहम्मद फैजुल करीम ने कहा है कि अगर उनका दल चुनाव जीतकर सत्ता में आता है तो इस्लामिक मूवमेंट बांग्लोदश देश में शरिया कानून को लागू करेगा। अमेरिकी-बांग्लादेशी पत्रकार खालेद मुहीउद्दीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही है। कट्टरपंथी नेता ने अफगानिस्तान के तालिबान शासन की सराहना करते हुए कहा कि उनके जो भी अच्छे निर्णय लिए हैं हम भी उनको लागू करेंगे।
फैजुल करीम के द्वारा खुलेआम इस बात का ऐलान करना यह दर्शाता है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी किस प्रकार राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हो रहे हैं। हालांकि करीम ने यह भी कहा है कि हिंदू समेत सभी अल्पसंख्यकों को शरीयत के तहत अधिकार दिए जाएंगे। पहले ही शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खास तौर से हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई हैं। हिंदू मंदिरों को कट्टरपंथियों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। हिंदुओं के साथ मारपीट की घटनाएं आम हो गई हैं, अब कट्टरपंथी नेता फैजुल करीम के इस बयान के बाद तो हालात और भी खराब हो सकते हैं। हालांकि इस पर फिलहाल बांग्लादेश की अतंरिम सरकार या उसके मुखिया मोहम्मद यूनुस की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया या उनकी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की तरफ से भी फिलहाल फैजुल करीम के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आपको बता दें कि बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने अदालत की अवमानना के मामले में शेख हसीना को दो दिन पहले 6 महीने जेल की सजा सुनाई है। शेख हसीना तख्तापलट के बाद से भारत में शरण लिए हैं। बांग्लादेश में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से लेकर हत्या तक के कई गंभीर आरोपों में केस चल रहा है।