श्रीलंका के हालात हुए विकराल, बचा है सिर्फ एक ही दिन का पेट्रोल, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने जताई विदेशी मदद की उम्मीद
बता दें कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के उपरांत उन्होंने पहली बार टीवी के जरिए देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस वक्त हम सर्वाधिक बूरे आर्थिक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरा मकसद किसी एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश को इस घोर आर्थिक विपदा से बचाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
नई दिल्ली। चलिए, आपको श्रीलंका लेकर चलते हैं। जहां अभी आर्थिक बदहाली अपने चरम पर पहुंच चुकी है। पूरे देश का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। बीते दिनों इसी आर्थिक बदहाली की वजह से प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा ले लिया गया था। अब श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की कमान रानिल विक्रमसिंघे को सौंपी गई है। लेकिन उनके समक्ष अभी चुनौतियों का अंबार है कि कैसे देश को इस बुरे आर्थिक दौरे बाहर लाया जाए। अब इसी बीच उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती उभरकर सामने आई है। दरअसल , श्रीलंका में अब एक ही दिन का पेट्रोल शेष है। जिसकी कीमत अभी आसमान छू रही है। ऐसे में आगामी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चिंता व्यक्त की जा रही है।
बता दें कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के उपरांत उन्होंने पहली बार टीवी के जरिए देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस वक्त हम सर्वाधिक बूरे आर्थिक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरा मकसद किसी एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश को इस घोर आर्थिक विपदा से बचाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है। इस बीच उन्होंने विदेशी मदद की भी उम्मीद जताई है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में हमें 2.3 ट्रिलियन मुद्रा की जरूरत है, जबकि मौजूदा वक्त में हमारे पास महज 1.6 मिलयन मुद्रा है। ऐसी स्थिति में हमारे समक्ष चुनौतियों का बड़ा अंबार खड़ा है। उन्होंने कहा कि विदेश मुद्रा भंडार खत्म होने के कागार है। जिसके देखते हुए आगामी दिनों में महंगाई के अपने चरम पर पहुंचने के आसार जताए जा रहे हैं। श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा कि आगामी दिनों में हम सभी को और भी ज्यादा बुरे दौर से गुजरना होगा।
लिहाजा हम सभी को एकजुट होकर इसका सामना करना होगा। इस बीच प्रधानमंत्री के बाद अब श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के ऊपर भी इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन उनके रूख से ऐसा लगता नहीं है कि वे इस्तीफा देने की स्थिति में हैं। वहीं, भारत द्वारा लगातार श्रीलंका को मदद पहुंचाने का सिलसिला जारी है। भारत ने साफ कहा है कि हम अपने पड़ोसी देश को इस मुश्किल घड़ी में पूरी मदद पहुंचाएंगे। अब ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति क्या कुछ रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम