नई दिल्ली। पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान दुनिया के सामने दावा करते हैं कि पाक में हिंदुओं को जीने की पूरी आजादी मिलती है। इमरान खान की सरकार अपनी बड़ाई में यह भी कहती है कि, पाकिस्तान के मंदिरों को पूरी सुरक्षा मिलती है और यहां अल्पसंख्यक आबादी पूरी तरह से अपनी संस्कृति और धर्म के अनुसार जीती है। लेकिन अब पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए आयोग ने एक रिपोर्ट दी है, जिसमें इमरान खान सरकार के दावों की पोल खुल गई है। रिपोर्ट में हिंदुओं की पाक में क्या स्थिति है, उसको लेकर एक बार फिर से खुलासा किया गया है। आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थल बेहद ही खराब हालत में हैं और उनके रख-रखाव के लिये जो जिम्मेदार प्राधिकरण है, वो अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहा है।
दरअसल हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में ये सब बातें सामने आई हैं। वहीं ‘द डॉन’ की खबर में बताया गया है कि पांच फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक सदस्यीय आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट दाखिल की गई, जिसमें पाक के हिंदू समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थलों की खराब हालत के बारे में स्टेट्स दिया गया है। रिपोर्ट में खास तौर पर यह बताया गया है कि इन स्थलों के रखरखाव के लिये जिम्मेदार इवैक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) अल्पसंख्यक समुदाय के कई पुराने आस्था के प्रतीक मंदिरों एवं पवित्र स्थलों के रख-रखाव में विफल रहा है।
खबर में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर शोएब सडल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। इसमें तीन सहायक सदस्यों डॉक्टर रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल शामिल थे। उन्हें आयोग की तथ्यान्वेषी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिये उप अटॉर्नी जनरल नामित किया गया था। आयोग के सदस्यों ने छह जनवरी को चकवाल में कटास राज मंदिर और सात जनवरी को मुल्तान में प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेर्री मंदिर (करक), कटास राज मंदिर (चकवाल), प्रह्लाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लसबेला) की हालत सुधारने के लिये लिये संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।