अब संयुक्त राष्ट्र की चीन को चेतावनी, जंगली जानवरों को खाते रहे तो कोरोना जैसे संक्रमण बार-बार फैलेंगे
पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पर्यावरण और जंगली जीवों का अस्तित्व बचना जरूरी है नहीं तो कोरोना जैसे प्रकोपों का सामना करना पड़ेगा।
नई दिल्ली। कोरोनावायरस के प्रकोप से पूरी दुनिया परेशान हैं, इसको लेकर लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है। इसके बीच संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण से जुड़ी एक संस्था ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इसी तरह लोगों ने ऐसे ही जंगली-जानवरों को खाना जारी रखा तो कोरोना संक्रमण जैसे खतरे हमेशा दुनिया पर मंडराते रहेंगे।
इस दिशा में मददगार कदम उठाने को लेकर UN ने कहा कि सभी देशों को इस दिशा में ज़रूरी कदम उठाने होंगे और जंगली-जानवरों का मांस के लिए शिकार और अन्य तरीकों का उत्पीड़न रोकना होगा नहीं तो कोविड-19 जैसी अन्य बीमारियों का सामना लगातार करना होगा। यूनाइटेड नेशंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम ऐंड इंटरनेशनल लाइवस्टॉक रिसर्च इन्स्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण को लगातार पहुंचने वाला नुक़सान, प्राकृतिक संसाधनों का बेतहाशा दोहन, जलवायु परिवर्तन और जंगली जीवों के मांस के इस्तेमाल ने ही कोरोना संक्रमण जैसी बीमारियों को जन्म दिया है।
संस्था ने कहा कि इन सभी बीमारियों के लिए असल में मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि उसी ने नियमों को तोड़ते हुए अपनी मनमर्जी से पर्यावरण और जीव-जंतुओं का दोहन शुरू किया है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में जानवरों और पक्षियों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां लगातार बढ़ी हैं। विज्ञान की भाषा में ऐसी बीमारियों को ‘ज़ूनोटिक डिज़ीज़’ कहा जाता है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पर्यावरण और जंगली जीवों का अस्तित्व बचना जरूरी है नहीं तो कोरोना जैसे प्रकोपों का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रोटीन की बढ़ती मांग के लिए जानवरों को मारा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जानवरों से होने अलग-अलग तरह की बीमारियों के कारण दुनिया भर में हर साल तकरीबन 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना संकट की वजह से एड्स की जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति बाधित हुई है।
डब्ल्यूएचओ के एक सर्वे के अनुसार 73 देशों ने चेताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उनके यहां एड्स की जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक ख़त्म होने वाला है। वहीं, 24 देशों ने कहा कि उनके यहां एड्स की ज़रूरी दवाएं या तो बहुत कम हैं या उनकी सप्लाई बुरी तरह बाधित हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रस एडहॉनम गेब्रियेसुस ने इस स्थिति को ‘बेहद चिंताजनक’ बताया है। उन्होंने कहा, “दुनिया के देशों और उनके सहयोगियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि एचआईवी से ग्रसित लोगों को जीवनरक्षक दवाएं मिलती रहें। कोविड-19 की वजह से एड्स की वो जंग नहीं हार सकते जिस पर हमने मुश्किल से जीत हासिल की थी।”