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क्या है तेजी से पिघल रहा Doomsday ग्लेशियर ? जो अगर टूटा तो सबकुछ हो जाएगा तबाह

अंटार्कटिका : वैज्ञानिकों को चिंता है कि इसके गलने की रफ्तार अनुमान से तेज हो सकती है, जिससे समुद्र स्तर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर (डूम्सडे ग्लेशियर) समुद्र स्तर को कई फीट तक बढ़ाने में सक्षम है। इसका आकार ब्रिटेन के बराबर है।

अंटार्कटिका : इस दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं जिनके खत्म होने प्रभाव सिर्फ एक जगह पर नहीं बल्कि पूरे के पूरे देश या पृथ्वी पर दिखेगा। ऐसा ही एक नाम है ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ जिसके गलने से दुनिया के समुद्र स्तर में भयंकर वृद्धि देखने को मिल सकती है। इस ग्लेशियर का नाम इसके तेजी से गलने के कारण दिया गया है, जिसका मतलब प्रलय से है। इसका असल नाम थ्वाइट्स ग्लेशियर है।

अब वैज्ञानिकों को चिंता है कि इसके गलने की रफ्तार अनुमान से तेज हो सकती है, जिससे समुद्र स्तर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर (डूम्सडे ग्लेशियर) समुद्र स्तर को कई फीट तक बढ़ाने में सक्षम है। इसका आकार ब्रिटेन के बराबर है। ऐसी चिंताओं के बीच धरती के बढ़ते तापमान से ये ग्लेशियर समुद्र के नीचे से लेकर ऊपर तक गल रहा है।

दरअसल हाल ही में नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस ग्लेशियर की ऐतिहासिक मैपिंग का कार्य पूरा किया है, ताकि ये पता किया जा सके कि ग्लेशियर का हाल भविष्य में कैसा होने वाला है। इसमें रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि दो सदियों में ग्लेशियर का आधार समुद्र से अलग हो गया। तब से हर साल ये 2.1 किमी की दर से गल रहा है। ये पिछले एक दशक में वैज्ञानिकों की देखी गई दर से दोगुना है।

इसके गलने से 3 फीट बढ़ सकता है समुद्र स्तर

रिसर्चर्स की मानें तो 20वीं शताब्दी के मध्य में ये ग्लेशियर तेजी से खत्म हुआ। लेकिन इस ग्लेशियर के और भी तेजी से गलने की भविष्य में संभावना है। अगर ये ग्लेशियर पूरा गल जाता है तो वैज्ञानिकों के एक अनुमान के अनुसार समुद्र स्तर में तीन फीट तक की बढ़ोतरी दिखाई दे सकती है। इसके कारण तटीय इलाकों से जुड़े देशों को बड़ा नुकसान होगा। नुकसान की अगर बात करें तो इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले तीन दशक में एक फुट से भी कम समुद्र स्तर बढ़ा है और दुनिया के कई इलाकों में इस परिवर्तन से भारी बाढ़ दिखी है। अगर ये ग्लेशियर पूरी तरह गल गया तो हमें समुद्री सीमा फिर से खींचनी पड़ सकती है।