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Bada Mangal 2022 : एक मुस्लिम शासक ने की थी बुढ़वा मंगल की शुरूआत, जानिए क्या थी वजह और महत्व?

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है। वैसे ही, मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है। लेकिन आज यानी 17 मई को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल का दिन है। आज से ज्येष्ठ माह लग रहा है, जो 14 जून तक चलेगा। इस वर्ष की सबसे खास बात ये है कि ज्येष्ठ माह की शुरूआत और इसका समापन दोनों ही मंगलवार को हो रहा है। इसमें पहले मंगलवार को नारद जयंती, जबकि आखिरी मंगलवार को पूर्णिमा पड़ रही है। इसके अलावा, इस बार श्री हनुमान जी की स्तुति वंदना करने के लिए पांच बड़े मंगलवार भी मिलेंगे।

क्यों मनाते हैं बुढ़वा मंगल?

ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार के दिन कई मंदिरों में और जगह-जगह भंडारा खिलाया जाता है। इस माह के प्रत्येक मंगलवार को हनुमानजी की पूजा और व्रत करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, साथ ही आसपास मौजूद सारी नकारात्मक शक्तियों का भी अंत हो जाता है। ये दिन इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसी श्रीराम और हनुमानजी की पहली मुलाकात हुई थी। बुढ़वा मंगल के दिन बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है।

बड़े मंगल की पौराणिक कथा

कहा जाता है कि बड़े मंगल को मनाने की शुरुआत करीब 400 साल पहले अवध के नवाब ने की थी। नवाब मोहम्मद अली शाह का बेटा गंभीर रूप से बीमार था। काफी इलाज कराने पर भी कोई लाभ नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने लोगों की सलाह पर लखनऊ के अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मंदिर में अपने बेटे की सलामती की दुआ मांगी। हनुमान मंदिर में नवाब के मन्नत मांगते ही बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। इसके बाद नवाब और बेगम ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, साथ ही ज्येष्ठ की भीषण गर्मी में हर मंगलवार को पूरे शहर में पानी और गुड़ भी बंटवाया, इसके बाद से ज्येष्ठ माह में बड़ा मंगल मनाने की परंपरा शुरू हो गई। इस त्योहार को हिंदू मुस्लिम दोनों ही धूम-धाम से मनाते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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