नई दिल्ली। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की तो कृपा मिलती ही है साथ ही माता लक्ष्मी की कृपा भी जातक पर पड़ती है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को जीवन में पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता और सभी समस्याएं भी उसके जीवन से खत्म होती जाती है। हालांकि एकादशी तिथि पर कई बातों का खास ख्याल भी रखा जाता है। इस दिन कई चीजों को खाने की मनाई होती है और व्रत पारण के भी अलग नियम हैं। अब एक दिन बाद यानी कल 10 सितंबर को अजा एकादशी मनाई जाएगी।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। अगर आप भी अजा एकादशी पर व्रत रखने की सोच रही हैं तो आपको सबसे पहले एकादशी तिथि की शुरुआत और समापन के बारे में जान लेना चाहिए साथ ही व्रत खोलने का समय (पारण का समय) भी अच्छे से जान लेना चाहिए…
कब है भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की एकादशी
इस साल अजा एकादशी 10 सितंबर 2023, रविवार के दिन है। एकादशी तिथि की शुरुआत आज 9 सितंबर को शाम 7 बजकर 7 मिनट से हो रही है और इसका समापन अगले दिन 10 सितंबर को रात 9 बजकर 28 मिनट पर होगा। अजा एकादशी पर जो लोग व्रत रख रहे हैं वो व्रत का पारण यानी व्रत को 11 सितंबर को सुबह 6 बजकर 4 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 33 मिनट के बीच में खोल सकते हैं।
अजा एकादशी पर इस तरह से करें पूजा
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके मंदिर में दीप जलाएं।
- अब विष्णु जी का गंगाजल से अभिषेक करके उन्हें फूल और तुलसी दल अर्पित करें।
- जो लोग व्रत रखना चाह रहे हैं वो व्रत का संकल्प लें।
- विष्णु जी की आरती करके उन्हें भोग लगाएं।
- इस बात का ख्याल रखें कि आप विष्णु जी को जिस भी चीज का भोग लगा रहे हैं उसमें तुलसी जरूर डालें।
- विष्णु जी के को भोग लगाने के बाद माता लक्ष्मी और उनके साथ में पूजा करें।
- जितना हो सके इस दिन विष्णु जी का ध्यान करें और दूसरों के लिए गलत विचार मन में न लाएं।
अजा एकादशी की पूजा के लिए सामग्री
अजा एकादशी पर विष्णु जी का चित्र या मूर्ति, फूल, नारियल, सुपारी, धूप, दीप, लॉन्ग, घी, पंचामृत, चंदन, मिष्ठान, तुलसी दल, अक्षत।
डिस्क्लेमर: ऊपर दिए गए लेख की जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। NewsroomPost इस तरह की किसी जानकारी का दावा नहीं करता है।