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Rohini Vrat 2023: हिंदुओं के साथ-साथ जैन धर्म में भी है रोहिणी व्रत की मान्यता, जानें क्या है व्रत का महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली। रोहिणी नक्षत्र व्रत इस महीने 25 दिसंबर को पड़ने वाला है और ये व्रत जैन धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ये वक्त हर महीने के रोहिणी नक्षत्र में पड़ता है। हर साल रोहिणी नक्षत्र के 12 व्रत पड़ते हैं। जैन धर्म के अलावा हिंदू धर्म में भी रोहिणी नक्षत्र व्रत का महत्व है और इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है, जबकि जैन धर्म में भगवान वासु स्वामी की पूजा की जाती है।

रोहिणी नक्षण व्रत का महत्व

जैन धर्म में रोहिणी नक्षण व्रत को नक्षत्रों से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि रोहिणी व्रत के दिन एक साथ 27  नक्षत्र एक साथ आते हैं और सभी मिलकर बेहद शुभ संयोग बनाते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखने का भी विधान है। जो महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं, उन्हें मां लक्ष्मी से अखंड सौभाग्य होने का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा विधि

सुबह भोर में उठकर नहा-धोकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सूर्य देवता को जल देकर उनके मंत्रों का जाप करें। इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें और उनकी पूजा अर्चना करें। उनका श्रृंगार करना न भूले…। इसके अलावा पूजा को संपन्न करने के लिए लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और किसी मीठे पदार्थ से भोग लगाना न भूलें। शाम को सूरज ढलने के बाद भी पूजा करें…और सूरज को जल देकर अपना व्रत खोले। इस व्रत को शाम को खोल लेते हैं। पारण के लिए लहसुन-प्याज के खाने से परहेज करें और सात्विक भोजन ही खाएं। आप चाहें तो व्रत वाले दिन दान भी कर सकती हैं। इस दिन दान भी बहुत महत्व होता है।

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