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Chhath Puja 2023: कल दिया जाएगा डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य, जानें 10 बड़े शहरों में संध्या अर्घ्य की टाइमिंग

Chhath Puja 2023: छठ के सभी दिनों का विशेष महत्व होता है। छठ के तीसरे दिन का बेहद खास महत्त्व होता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ विधि-विधान से छठी मैय्या की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं अलग-अलग शहरों की संध्या अर्घ्य टाईमिंग के बारे में विस्तार से...

नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर 2023 से शुरू हो चुका है। 17 नवंबर को ये पर्व नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ, जिसका समापन 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला ये महापर्व सभी के लिए बेहद खास है। छठ पूजा न केवल बिहार में बल्कि देश के कई राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। छठ महापर्व को साल के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा का ये व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। छठ के उपवास की शुरुआत खरना के प्रसाद का सेवन करने के बाद से शुरू होता है। जिसका पारण उगते सूर्य को अर्घ्य देने बाद किया जाता है। इस तरह व्रती 36 घंटों का निर्जला उपवास रखती है। छठ के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर उसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होता है। छठ के सभी दिनों का विशेष महत्व होता है। छठ के तीसरे दिन का बेहद खास महत्त्व होता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ विधि-विधान से छठी मैय्या की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं अलग-अलग शहरों की संध्या अर्घ्य टाईमिंग के बारे में विस्तार से…

इन शहरों में संध्या अर्घ्य की टाइमिंग

दिल्ली- शाम 5:27 बजे

कोलकाता- शाम 5:00 बजे

पटना- शाम 5:00 बजे

चंडीगढ़- शाम 5:25 बजे

कानपुर- शाम 5:28 बजे

प्रयागराज- शाम 5:15 बजे

हैदराबाद- शाम 5:40 बजे

भोपाल- शाम 5:35 बजे

भागलपुर-  4:54 बजे

लखनऊ- 4:52 बजे

गया- शाम 5:02 बजे

रांची- शाम 5:03 बजे

सांझ के अर्घ्य की विधि

छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया की पूजा की जाती है। इसके बाद व्रती अपने परिजनों के साथ जलाशय और नदियों के किनारे बने घाट से पूजा का सारा सामान लेकर वापस घर आती हैं। इसके बाद तड़के सुबह उठकर फिर घाट किनारे जाना होता है। जहां व्रती पानी में खड़ी होकर सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती है। इसके बाद जैसे ही सूर्य देव का आगमन होता है वैसे ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात इस महापर्व का समापन हो जाता है। इसके बाद व्रती छठ का प्रसाद ग्रहण करने के बाद अपने लगभग 36 घंटों से चले आ रहे निर्जल व्रत का पारण करती है।

आज है खरना

आज 18 नवंबर को छठ का दूसरा दिन है। छठ के दूसरे दिन खरना किया जाता है। इस दौरान सूर्योदय का समय सुबह 06:46 बजे का रहेगा और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम के समय मिट्टी से बने नए चूल्हे पर गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसी प्रसाद को व्रती ग्रहण करती हैं, जिसके बाद से व्रतियों का निर्जल उपवास शुरू हो जाता है।

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