नई दिल्ली। मार्च महीने की आज आखिरी संकष्टी चतुर्थी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi) है। इस दिन गणपति बप्पा (Lord Ganesha) को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है और उनका पूजन किया जाता है। आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भी कहा जा रहा है। इस लेख में जानें संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
शुभ मुहूर्त
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 31 मार्च दिन बुधवार को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 11 बजे तक।
ऐसे करें पूजा
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं। नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें। स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर घर की पूर्व दिशा को साफ कर लें। यहां पर एक साफ चौकी रखें। चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर कुमकुम का स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक पर फूल और अक्षत अर्पित करें। इसका पूजन करें।
फिर भगवान गणेश की प्रतिमा या फोटो को चौकी पर स्थापित करें। गणेश जी को कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं। गणेश जी को फूलों का हार चढ़ाएं। फिर दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। फिर गणेश जी का ध्यान करें। फिर गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, गणेश स्तोत्र और गणेश मंत्रों का पाठ करें।
इसके बाद पूरे सच्चे मन से गणपति बप्पा की आरती करें। गणेश जी को भोग लगाएं। उन्हें लड्डू या मोदक बेहद पसंद है। व्रत के दिन शाम को भी गणेश जी की पूजा इसी विधि से करें। फिर चंद्रमा को अर्घ्य दें।