नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी को हिंदु धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही शादी जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निंद्रा से जाग जाते हैं। लेकिन इस बार एकादशी को लेकर लोगों के मन में कंफ्यूजन है। कोई कह रहा है कि एकादशी 22 नवंबर की है तो किसी का मानना है कि ये 23 नवंबर की है। तुलसी विवाह को लेकर भी लोग कंफ्यूज है। लेकिन हम आपकी सारी दुविधा दूर कर देंगे। इस बार देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को ही मनाई जाएगी लेकिन तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा। तो चलिए जानते हैं कि इस दिन पूजा का विधान क्या है और कैसे भगवान विष्णु की पूजा की जा सकती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी वैसे तो 22 नवंबर की रात से शुरू हो जाएगी और अगले दिन तक चलेगी। हिंदू धर्म में हमेशा उगते सूर्य के साथ त्योहार सेलिब्रेट होता है। इसलिए एकादशी भी 23 नवंबर की ही मानी जाएगी। एकादशी 22 नवंबर को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर 23 नवंबर को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। पारण के लिए 24 नवंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर 08 बजकर 57 मिनट का शुभ मुहूर्त है। वहीं 24 नवंबर को ही तुलसी विवाह मनाया जाएगा
कैसें करें भगवान विष्णु की पूजा
भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय होता है। पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल को साफ करें। जिसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, पीली मिठाई, गन्ना सिंघारा और फल चढ़ाए। इसके साथ ही भगवान विष्णु को पीले वस्त्र ही पहनाए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु का केसर और दूध से अभिषेक करना ना भूलें। इस दिन दान का भी बहुत महत्व है। कहा जाता है कि एकादशी के दिन मोटे अनाज जैसे दाल-चावल आटा और फलों और सब्जियों का दान करना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप- पूजा को संपन्न करने के लिए आप भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
1.ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
2.ॐ हूं विष्णवे नम:
3.ॐ नारायणाय नम:
4.ॐ अं वासुदेवाय नम:
5.ॐ आं संकर्षणाय नम:
6.ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
7.ॐ विष्णवे नम:
8.ॐ अं प्रद्युम्नाय नम: