नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्योतिष का बहुत महत्व होता है। ज्योतिष इंसान की रेखाओं ही नहीं बल्कि उसकी पसंद नापसंद को देखकर भी उसके विषय में बहुत सारी बातें बता देता है। इसी प्रकार रंगों का भी अपना एक ज्योतिष होता है और आज स्वतंत्रता दिवस है तो इस मौके पर हम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में शामिल रंगों की बात करेंगे। तो आइये आपको बताते हैं तिरंगे के तीन रंगों का ज्योतिष महत्व और ये हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं।
केसरिया रंग
इस रंग को शक्ति का प्रतीक माना गया है। वहीं ज्योतिष में इसे ग्रहों के राजा सूर्य देव का रंग माना जाता है और सारे संसार को प्रकाशित करने वाले सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास, तेज का कारक माना जाता है। इसलिए इसे आत्मनिर्भरता का संदेशवाहक भी कहा जा सकता है। केसरिया रंग उगते सूरज का रंग भी है, जो पृथ्वी के कण-कण में नई ऊर्जा भरता हुआ प्रतीत होता है। ज्योतिष के अनुसार, केसरिया रंग सरकार के कार्य और सरकार का नेतृत्व भी करता है। इतना ही नहीं, केसरिया रंग का संबंध गुरु ग्रह से भी संबंधित माना जाता है, जो धर्म और त्याग का भी सूचक है।
सफेद रंग
इस रंग को शांति का सूचक माना जाता है। ज्योतिष में सफेद रंग का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से माना गया है। जहां एक ओर चंद्रमा मन, माता, ममता, सौम्यता आदि का कारक ग्रह है, तो वहीं दूसरी ओर ये रंग शुक्र सौंदर्य, भौतिकता, कला आदि का कारक ग्रह है। इसलिए कहा गया है कि ये शांति के साथ-साथ आपसी प्रेम और सद्भाव बनाए रखने का संदेश भी देता है। इसके अलावा ये रंग रचनात्मकता और कलात्मक क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने का भी संदेश देता है।
हरा रंग
इस रंग को संपन्नता और हरियाली का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष में इसका संबंध बुध ग्रह से जोड़ा जाता है और बुध ग्रह को तकनीक, तार्किक क्षमता, व्यवसाय, आदि का कारक ग्रह माना गया है, जो एक सफल राष्ट्र के निर्माण में अत्यंत सहायक हैं। इसके अलावा, हरा रंग प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और अपने कौशल से राष्ट्र को मजबूत करने का भी संदेश देता प्रतीत होता है।
नीला रंग
तिरंगे में मौजूद नीले रंग का संबंध शनिदेव से माना गया है। शनि जनता का कारक ग्रह है। इसलिए नीला रंग ये संदेश देता है कि जनता राष्ट्र का आधार है और इसके सहयोग से ही राष्ट्र निर्माण का चक्र हमेशा अग्रसर रहेगा।