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Shravan 2021: बेलपत्र का जानें महत्व, भोलेनाथ को अर्पित करते समय बरतें ये सावधानियां

नई दिल्ली। सावन का महीना शुरू हो गया है। जो 25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा। सावन माह को भोलेनाथ का सबसे प्रिय बताया जाता है। कहा जाता है कि अगर इस माह में शिव-शंभू की पूजा की जाती है तो वो प्रसन्न हो कर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसके साथ ही उन्हें बेलपत्र भी प्रिय होता है। लेकिन बेलपत्र को अर्पित करते समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है। वरना आपकी पूजा का उल्टा असर भी हो सकता है। ऐसे में जानें बेलपत्र महत्व और इसको चढ़ाते हुए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

बेलत्र की एक पौराणिक कहानी भी है। जिसके मुताबिक, समुंद्र मंथन के दौरान कई चीजों के साथ विष भी निकला था। ये विष चारों ओर फैलने लगा, ऐसे में पूरी दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने कंठ में इस विष में धारण कर लिया। यही कारण है कि उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। इसके बाद विष के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में ताप बढ़ने लगा। इसकी वजह से आस-पास का वातावरण जलने लगा। ऐसे में देवी-देवताओं ने शिव-शंभू को बेलपात्र खिलाया और जल से स्नान कराया। इसके बाद से उनके शरीर का ताप शांत होने लगा। तब से ही भगवान पर बेलपत्र चढ़ाया जा रहा है।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय रखें इन बातों का ध्यान

— शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनपर जल चढ़ाएं। इससे उनको शीतलता मिलती है। साथ ही उनका आर्शीवाद भी मिलता है।

–भक्तों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा 3 पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए।

— शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी पत्तियां चिकनी हों और उसी तरफ से बेलपत्र चढ़ाए।

— भगवान शिव को कभी भी कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।

— शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पहले उसे साफ पानी से धो लें।

— शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि भक्त शिव के प्रिय मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करें।

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