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Astro Tips: जानिए, आखिर मंदिर जाना क्यों है जरूरी?, प्राचीन मंदिरों का क्या है महत्व?

नई दिल्ली। इंसान बहुत ही स्वार्थी होता है। वो जब भी किसी मुसीबत में फंसता है तो सबसे पहले उसकी जुबान पर भगवान का नाम आता है, जबकि ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। हमें रोज ही ईश्वर को याद करना चाहिए और उनकी उपासना करनी चाहिए। वैसे तो ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं हम कभी भी कहीं से भी उन्हें याद कर सकते हैं, लेकिन मंदिर जाकर उनकी पूजा करने और उनके दर्शन करने का अलग ही महत्व होता है। इसके अलावा भी ज्योतिष शास्त्र में मंदिर जाने के बहुत से महत्व बताए गए हैं, तो आइये जानते हैं कौन सी हैं वो महत्वपूर्ण बातें…

1.हिंदू शास्‍त्रों में मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना परम सुख देने वाला माना गया है। इसके अलावा ये इस बात का प्रमाण भी देता है कि देव शक्तियों में आपकी आस्था और विश्वास है।

2.नियमित रूप से मंदिर जाने से मन में दृढ़ विश्वास और उम्मीद की ऊर्जा संचारित होती है। विश्वास की शक्ति से ही आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

3.हर इंसान जाने अनजाने में कोई न कोई अपराध कर ही देता है आखिर इंसान को गलतियों का पुतला कहा गया है। ऐसे में प्रायश्चित की भावना को लेकर अगर आप मंदिर जाते हैं और भगवान से क्षमा-याचना करते हैं तो मन में काफी शांति और हल्केपन का एहसास होता है।

4.मंदिर में लगातार बजने वाली शंख और घंटियों की आवाजें वातावरण को शुद्ध करने के साथ मन और मस्तिष्क को भी शांत करती हैं। इसके अलावा, धूप और दीप की खुशबू से मन और मस्तिष्क में चलने वाले सभी नकारात्मक भावों की भी समाप्ति हो जाती है। वैसे भी शंखनाद और घंटियों की आवाज को वैज्ञानिक रूप से भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए काफी अच्छा माना गया है।

5.मंदिर के वास्‍तु और कलाकृतियों को देखकर हमारे मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन मंदिरों का निर्माण सकारात्मक ऊर्जा के संचार के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया जाता था। ये मंदिर ऊर्जा संचार और प्रार्थना के केंद्र हुआ करते थे।

6.कहा जाता है कि धरती के दो छोर हैं- एक उत्तरी ध्रुव और दूसरा दक्षिणी ध्रुव। उत्तर दिशा में मुख करके पूजा या प्रार्थना करना काफी अच्छा होता है। यही कारण है कि प्राचीन काल के सभी मंदिरों के द्वार उत्तर दिशा में बनाए जाते थे। हमारे वास्तु शास्त्रियों ने धरती पर ऊर्जा के कई सकारात्मक केंद्र ढूंढे और वहां पर मंदिरों का निर्माण किया।

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