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Gangasagar Mela 2024: जानिए क्यों कहते हैं ”सारे तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार”, मकर संक्रांति पर और बढ़ जाता है महत्व

Gangasagar Mela 2024: लाखों श्रद्धालु मकर संक्रांति के मौके पर यहां पहुंचते हैं और मोक्ष की कामना करते हुए सागर संगम में डुबकी लगाते हैं। मकर संक्रांति के त्यौहार के मौके पर गंगा और यमुना के तटों पर मेले आयोजित किये जाते हैं।

नई दिल्ली। मकर संक्रांति के पवित्र त्यौहार के अवसर पर गंगा सागर की तीर्थयात्रा और स्नान करने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में गंगासागर को मोक्ष धाम भी बताया गया है। लाखों श्रद्धालु मकर संक्रांति के मौके पर यहां पहुंचते हैं और मोक्ष की कामना करते हुए सागर संगम में डुबकी लगाते हैं। मकर संक्रांति के त्यौहार के मौके पर गंगा और यमुना के तटों पर मेले आयोजित किये जाते हैं। यहां बड़ी संख्यां में श्रद्धालु पहुंचते हैं और स्नान, जप-तप, दान पुण्य के कार्य, तर्पण आदि करते हैं। गंगा सागर को महातीर्थ का दर्जा प्राप्त है। तो चलिए बताते हैं मकर संक्रांति के मौके पर गंगा सागर का क्या महत्व है और इसे क्यों कहते हैं सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार।


गंगा सागर स्नान का महत्व

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा सागर में लाखों की संख्यां में श्रद्धालु पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही यहां हर मकर संक्रांति पर स्नान करने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। गंगा सागर में पुण्य स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य दिया जाता है और श्रद्धालु समुद्र को नारियल और पूजा से संबंधित चीजें भेंट करते हैं।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इसी के साथ सुख और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। गंगा सागर का मेला हुगली नदी के तट पर लगता है, यह वही जगह है, जहां गंगा बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। जहां गंगा और सागर का मिलन होता है, उस स्थान को गंगा सागर कहा जाता है।

क्यों कहते हैं सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार

बता दें कि भारत के सभी तीर्थ स्थलों में से गंगासागर को महातीर्थ माना जाता है। ‘सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार’ इस कहावत के पीछे मान्यता है कि जो पुण्य फल की प्राप्ति किसी श्रद्धालु को जप-तप, तीर्थ यात्रा, धार्मिक कार्य आदि करने पर मिलता है, वह उसे केवल एक बार गंगा सागर की तीर्थयात्रा करने और स्नान करने से मिल जाता है। पहले के ज़माने में गंगा सागर जाना हर किसी के बस की बात नहीं होती थी, क्योंकि आज के दौर की तरह पहले के दौर में इतनी सुविधाएं नहीं थी। इस वजह से काफी काम लोग ही गंगासागर तक की यात्रा कर पाते थे इसीलिए कहा जाता था ”सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार।” आपको बता दें कि पहले गंगासागर तक केवल जल मार्ग से ही पहुंचा जा सकता था। लेकिन अब आधुनिक परिवहन से यहां पहुंच पाना बहुत सरल हो गया है। गंगा सागर में लगने वाला मेला 8 जनवरी से शुरू होता है और 16 जनवरी तक चलता है।

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