नई दिल्ली। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) का त्योहार उत्तर भारत में काफी हर्षों-उल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन पौष मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। मकर संक्रांति को मांगलिक कार्य के लिए सबसे शुभ माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन देशभर में बड़ी संख्या में शादी होंगी।
मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु में इसे पोंगल के रुप में मनाया जाता है। वहीं, कर्नाटक, केरल और आंध्र पेरदेश में इसे संक्रांति कहा जाता है। इस दिन नर्मदा नदी में स्नान का भी काफी महत्व है। इस दिन पर गुड़ और तिल से बने लड्डू और मिठाई बनाई जाती है। वहीं, देश भर में इस दिन पतंगबाजी की भी परंपरा है।
भारतीय शास्त्रों के मुताबिक, मकर संक्रांति को सकारात्मक उर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन जप, तप और दान-स्नान का काफी महत्व होता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन को संक्रांति कहते हैं।
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
पुण्य काल मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 03 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
महापुण्य काल मुहूर्त- सुबह 08 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक
संक्रांति पल- सुबह 08 बजकर 03 मिनट
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है-
“माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥”
मकर संक्रांति से जुड़ी कई प्रचलित पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भानु अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके लोक जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है।