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Kedarnath Temple: पांडवों ने बनवाया था केदारनाथ धाम, जानें इस मंदिर का इतिहास

केदारनाथ। ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) सबसे ऊंचाई पर स्थित है। पूरे विधि-विधान के साथ सोमवार को केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं। अब अगले 6 महीने तक भगवान केदार की पूजा होगी। हालांकि कोरोना महामारी के चलते आम लोगों के आने पर प्रतिबंध हैं।

आज केदरानाथ के कपाट खुलने पर हम आपको बताने जा रहे हैं इस मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य।

6 महीने ही होते हैं केदारनाथ के दर्शन

क्या आप जानते है कि केदारनाथ के दर्शन साल में सिर्फ 6 महीने होते हैं। भगवान केदार के दर्शनों के लिए बैशाखी बाद इस मंदिर को खोला जाता है और 6 माह बाद दीपावली के बाद पड़वा को केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। बर्फबारी के कारण 6 माह तक मंदिर बंद रहता है।

6 माह तक जलता रहता है दीपक

क्या आप जानते है कि केदार धाम में 6 महीने तक दीपक जलता रहता है। दरअसल, मंदिर जब बंद होता है तो पुजारी धाम के अंदर दीपक जलाकर जाते हैं। फिर 6 माह बाद गर्मियों में जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तो वो दीपक जलता हुआ मिलता है।

पांडवों ने बनवाया था केदारनाथ धाम

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया, उसके बाद वे आत्मग्लानि से भर गए क्योंकि वे अपने भाइयों, रिश्तेदारों के वध से काफी दुखी हो गए थे। वे इस पाप से मुक्त होना चाहते थे। तब वे भगवान शिव के दर्शनों के लिए काशी पहुंचे। भगवान शिव को जब पता चला तो वे नाराज होकर केदार आ गए। पांडव भी महादेव के पीछे-पीछे केदार तक चले आए। तब भगवान शिव बैल का रुप धारण कर लिए और पशुओं के झुंड में शामिल हो गए। तब भीम ने विशाल रुप धारण किया और दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए। सभी पशु उनक पैर के नीचे से चले गए, लेकिन महादेव नहीं गए। वे अंतर्ध्यान होने लगे, तभी भीम ने उनकी पीठ पकड़ ली। पांडवों की दर्शन की चाह देखकर शिव जी प्रसन्न हो गए और दर्शन दिए। तब पांडव पाप से मुक्त हो गए। उसके बाद पांडवों ने वहां पर मंदिर का निर्माण कराया। उस केदारनाथ मंदिर में आज भी बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजा जाता है।

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