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Jagannath Rath Yatra: आज से शुरू होगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, जानिए क्यों ले जाए जाते हैं प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर?

नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को ओड़िशा के पुरी में भगवान जगन्‍नाथ की बड़े धूम-धाम से यात्रा निकाली जाती है। उनके साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा की भी यात्रा निकाली जाती है। इसे ‘रथयात्रा’ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा के द्वारा तीनों अपनी मौसी के घर जाते हैं। इस साल ये यात्रा 1 जुलाई को निकाली जाएगी। दो सालों बाद इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। दो सालों तक कोरोना के चलते इस यात्रा को केवल स्थानीय औपचारिकता निभाने भर के लिए निकाला गया था। लेकिन इस बार पूरी भव्यता और उत्साह के साथ फिर से निकाला जाएगा। इस रथ को पुरी में जगन्‍नाथ मंदिर से निकाला जाएगा। यात्रा के दौरान सबसे आगे भगवान बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे जगन्‍नाथजी का रथ निकाला जाएगा। इस रथ यात्रा का समापन 12 जुलाई को होगा। इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनिया भर से लाखों लोग पुरी पहुंचते हैं और भगवान का रथ खींचकर पुण्य कमाने की लालसा पूरी करते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार श्री जगन्नाथ की बहन ने नगर भ्रमण की इच्छा जताई थी। तब जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकले थे। इसके बाद मौसी के घर नौ दिनों तक रुके भी थे। तभी से रथ यात्रा की प्रथा का आरंभ हो गया।

यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ प्रसिद्ध ‘गुंडिचा माता मंदिर’ में जाते हैं। इसलिए रथ यात्रा से ठीक एक दिन पहले गुंडिचा माता मंदिर को साफ-सुथरा किया जाता है। ताकि भगवान जगन्नाथ वहां विश्राम कर सकें। सफाई में प्रयोग होने वाला जल, सरोवर से लाया जाता है। इस यात्रा में सबसे आगे रहने वाले बलभद्र के रथ तालध्वज, बीच में चलने वाले सुभद्रा के रथ को दर्पदलन या पद्म रथ और भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदी घोष या गरुड़ ध्वज कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा में सच्ची श्रद्धा से शामिल होने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व को पुरी कार फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है।

प्रदेश सरकार ने पुरी यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से संम्पन्न कराने के उद्देश्य से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर को भारत के चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।

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