नई दिल्ली। हिंदू धर्म में बचपन से ही व्यक्ति के भीतर कई तरह के संस्कार पिरोये जाते हैं। बच्चे को मां-बाप शिव मंत्र से लेकर गायत्री मंत्र तक सबकुछ सिखाते हैं ताकि बच्चे के मन में बालकाल से ही संस्कारों और अच्छे विचारों का संचार हो। बता दें कि हिंदू धर्म में कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जाप से व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन मंत्रों का जाप बच्चों के बौद्धिक और जैविक दोनों तरह के विचारों के लिए मंगलकारी माना जाता है। ऐसे में चलिए आज इस आर्टिकल में आपको बताते हैं हिंदू धर्म के कुछ ऐसे पवित्र मंत्र जिन्हें आपको खुद सीखना और अपने बच्चों सिखाना चाहिए।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,
उर्वारुकमिव बन्धनान्,
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
2. श्री गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!
3. श्री हरी विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
4. श्री ब्रह्म जी मंत्र
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,
नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,
सदुयाय नमो नम:।।
5. श्री कृष्णा मंत्र
वसुदेवसुतं देवं,
कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं,
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।
6. श्री राम मंत्र
श्री रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीताया पतये नमः !
7. दुर्गा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
8. महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।
9. सरस्वती मंत्र
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,
वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि,
सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
10. महाकाली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं,
हलीं ह्रीं खं स्फोटय,
क्रीं क्रीं क्रीं फट !!
11. हनुमान मंत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
12. श्री शनिदेव मंत्र
ॐ नीलांजनसमाभासं,
रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं,
तं नमामि शनैश्चरम् ||
13. श्री कार्तिकेय मंत्र
ॐ शारवाना-भावाया नम:,
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,
वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता,
कार्तिकेया नामोस्तुते ।
14. काल भैरव मंत्र
ॐ ह्रीं वां बटुकाये,
क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,
कुरु कुरु बटुकाये,
ह्रीं बटुकाये स्वाहा।
15. गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः,
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥