नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर 2023 से शुरू हो चुका है। 17 नवंबर को ये पर्व नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ, जिसका समापन 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ किया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला ये महापर्व सभी के लिए बेहद खास है। छठ पूजा न केवल बिहार में बल्कि देश के कई राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। छठ महापर्व को साल के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा का ये व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। छठ के उपवास की शुरुआत खरना के प्रसाद का सेवन करने के बाद से शुरू होता है। जिसका पारण उगते सूर्य को अर्घ्य देने बाद किया जाता है। इस तरह व्रती 36 घंटों का निर्जला उपवास रखती है। छठ के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर उसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होता है। छठ के सभी दिनों का विशेष महत्व होता है। छठ के दूसरे दिन का सबसे ख़ास महत्व होता है। इस दिन खरना किया जाता है और इसमें कई सारे नियमों का ध्यान भी रखा जाता है। तो आइए जानते हैं आज मनाए जाने वाले खरना से जुड़ी सारी जानकारी।
शुक्रवार 17 नवंबर को छठ का पहला दिन यानी कि नहाय-खाय था। आज 18 नवंबर को छठ का दूसरा दिन है। छठ के दूसरे दिन खरना किया जाता है। इस दौरान सूर्योदय का समय सुबह 06:46 बजे का रहेगा और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा।
छठ पूजा के दूसरे दिन का महत्व
छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम के समय मिट्टी से बने नए चूल्हे पर गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसी प्रसाद को व्रती ग्रहण करती हैं, जिसके बाद से व्रतियों का निर्जल उपवास शुरू हो जाता है।
छठ पर्व के दूसरे दिन के नियम
- खरना वाले दिन घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- इस दिन बनने वाला प्रसाद को चखने की भूल न करें। साथ ही खरना पूजा का प्रसाद ऐसे स्थान पर बनाए, जहां रोजमर्रा का खाना न बनता हो।
- छठ पर्व के दिनों में घर में प्याज और लहसुन का सेवन न करें।
- छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं उन्हें पलंग या चारपाई पर नहीं सोना चाहिए। वह जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोएं।
- व्रत रह रही महिलाएं याद रखें कि, सूर्य को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें।
बता दें कि 19 नवंबर को छठ का तीसरा दिन है, इस दिन डूबता हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद 20 नवंबर को छठ का चौथा और आखिरी दिन है, इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस महापर्व का समापन हो जाएगा।