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Janmashtami 2022: आज हम आपको उस मथुरा के बारे में बताएंगे जहां पैदा हुए थे श्रीकृष्ण? चीनी यात्री फाहियान भी आया था यहां

Janmashtami 2022: श्रीकृष्ण जन्मभूमि होने के कारण से यहां देश और विदेशों से श्रद्धालु और सैलानी आते हैं और मथुरा में तमाम मंदिरों और धार्मिक केंद्रों के दर्शन करते हैं। मथुरा में जब भगवान कृष्ण पैदा हुए थे उस समय भाद्रपद मास था।

नई दिल्ली। कृष्ण भगवान का जन्म यमुना नदी के तट पर बसे हुए मथुरा में हुआ था। वह द्वापर युग था। उस समय इस शहर में भोजवंशी राजा उग्रसेन का शासन काल था और उनके ही बेटे कंस ने अपने पिता को गद्दी से उतारकर कारागृह में डाल दिया था और खुद ही राजा बन गया था। इसी मथुरा में बाद में कंस का वध करके भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पिता वासुदेव, मां देवकी और नाना उग्रसेन को उसकी कैद से स्वतंत्र किया था और यहां के नागरिकों को उसकी क्रूरता और अत्याचार से आजादी दी थी। इसी कारण से मथुरा बेहद पवित्र और आध्यात्मिक नगरी मानी जाती है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि होने के कारण से यहां देश और विदेशों से श्रद्धालु और सैलानी आते हैं और मथुरा में तमाम मंदिरों और धार्मिक केंद्रों के दर्शन करते हैं। मथुरा में जब भगवान कृष्ण पैदा हुए थे उस समय भाद्रपद मास था।

चीनी यात्री फाहियान भी आया था यहां

इस माह की रात्रीयों को सबसे काली और अंधेरी रात माना जाता है। कृष्ण भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र गत चंद्रमा में इसी पावन नगरी  मथुरा में जन्म लिया। यहां चीन के सबसे प्रसिद्ध यात्री, बौद्ध भिक्षु, लेखक एवं अनुवादक फाहियान ने भी यहां अपने कदम रखा। उसने इस पावन नगरी मथुरा का उल्लेख बौद्ध धर्म के केंद्र के रूप में किया।

पुराने भारतीय संस्कृति और सभ्यता का केंद्र रहा मथुरा

उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित मथुरा पुराने समय में भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आस्था का केंद्र माना जाता था। अब भी यह पावन नगरी धार्मिक गतिविधियों और धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां आपको तमाम पुराने धाम और मंदिर मिल जाएंगे। यमुना नदी के तट पर बसी हुई मथुरा को भारत के 7 प्राचीन शहरों में शामिल किया जाता है। वाल्मीकि रामायण में इस शहर को मधुपुर या मधुदानव का नगर से पुकारा जाता था। यह भी कहा जाता है कि लवणासुर का वध करने के बाद शत्रुघ्न ने मधुपुरी के साथ पर नई मथुरा बसाई थी।

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